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भगवान बलभद्र की प्रतिमा भगवान जगन्नाथ के स्थान पर और भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को परंपरागत रूप से भगवान बलभद्र के स्थान पर दर्शाया गया
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सेवायतों और विद्वानों की आपत्ति, एसजेटीए ने दी सफाई
पुरी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) द्वारा अंग्रेजी नववर्ष के लिए प्रकाशित कैलेंडर में एक कथित त्रुटि सामने आने के बाद मंदिर के सेवायतों और बौद्धिक वर्ग में असंतोष देखा जा रहा है। इस पर विवाद बढ़ने के बीच एसजेटीए ने अपना स्पष्टीकरण जारी किया है।
यह मामला बुधवार को तब उजागर हुआ, जब यह पाया गया कि कैलेंडर में भगवान बलभद्र की प्रतिमा को भगवान जगन्नाथ के स्थान पर और भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को परंपरागत रूप से भगवान बलभद्र के स्थान पर दर्शाया गया है। सूत्रों के अनुसार, विवादित चित्र एक पट्टचित्र शैली की पेंटिंग है, जिसे टेबल कैलेंडर और फोटो कैलेंडर दोनों में छापा गया है। इसके अलावा, कैलेंडर में शामिल रथयात्रा की एक तस्वीर में देवी सुभद्रा के रथ को पहले, उसके बाद भगवान जगन्नाथ और अंत में भगवान बलभद्र के रथ को खींचते हुए दिखाया गया है, जो परंपरा के विपरीत बताया जा रहा है।
श्रीमंदिर के एक सेवायत ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए तत्काल सुधार की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे अनेक श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। मैं प्रशासन से अनुरोध करता हूं कि कैलेंडरों का आगे वितरण रोका जाए और उन्हें सही क्रम में भगवानों की प्रतिमाओं के साथ पुनः मुद्रित किया जाए। उन्होंने इसे एक चूक बताते हुए कहा कि गलती को शीघ्र सुधारा जाना चाहिए।
विवाद के बीच श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि कैलेंडर में प्रयुक्त चित्र राज्य संग्रहालय में संरक्षित 300-400 वर्ष पुराने ताड़पत्र चित्र पर आधारित है। उन्होंने कहा कि कलाकार द्वारा उपलब्ध कराए गए चित्र को ही कैलेंडर में स्थान दिया गया है। यह चित्र कलाकार की रचनात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाता है।
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