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कृष्ण की बाल लीलाओं में डूबी ओडिशी संध्या

  •     संगीता दास की प्रस्तुति ने मोहा मन

  •     कृष्ण की बाल लीलाओं का सजीव चित्रण

  •     अंतरराष्ट्रीय ओडिशी नृत्य महोत्सव की तीसरी शाम रही भक्ति और सौंदर्य से सराबोर

भुवनेश्वर। अंतरराष्ट्रीय ओडिशी नृत्य महोत्सव की तीसरी संध्या रवींद्र मंडप में आध्यात्मिक भावनाओं और भक्ति रस से ओत-प्रोत रही। प्रख्यात ओडिशी नृत्यांगना एवं गुरु संगीता दास ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित अपनी सशक्त और भावप्रवण प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।

गुरु संगीता दास ने ओडिशी अभिनय “केड़े छंदा जाने लो साही” के माध्यम से श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की अनेक दिव्य लीलाओं को सजीव किया। पूतना वध, गोवर्धन धारण, कालिया दलन और माता यशोदा के वात्सल्य भाव को उन्होंने सूक्ष्म भाव-भंगिमाओं और ओडिशी व्याकरण की गहरी समझ के साथ मंच पर उतारा। उनकी प्रस्तुति ने पूरे सभागार को भक्ति और आध्यात्मिक आनंद से भर दिया।

प्रदर्शन के उपरांत गुरु संगीतादास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं भक्तों को सदा भक्ति में सराबोर करती हैं। इन दिव्य प्रसंगों को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत करना उनके लिए सौभाग्य की बात है, जो प्रभु की कृपा से संभव हुआ।

मंगलाचरण से हुई संध्या की शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत गोडामेकर संस्थान के कलाकारों द्वारा समूह ओडिशी मंगलाचरण “नीलाद्रौ शंख मध्ये शतदल कमले” से हुई। इसके बाद एक से बढ़कर एक एकल और युगल प्रस्तुतियां हुईं। ईशानी मिश्रा का अभिनय “राधारानी संगे नाचे मुरली पानी”, हिमानी सारथी की “सावेरी पल्लवी”, सुभश्री सुभस्मिता महापात्र की “दरबारी पल्लवी” और तेजस्विनी बारिक व ऋषिता पात्रा की युगल प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा।

समूह प्रस्तुतियों ने बढ़ाया कार्यक्रम का वैभव

श्री विद्या संगीत एवं कला प्रतिष्ठान के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत “दश महाविद्या” समूह नृत्य ने कार्यक्रम में विशेष गरिमा जोड़ी। विविध संस्थानों की समूह प्रस्तुतियों ने मंच को जीवंत और भव्य बना दिया।

स्मितालय के कलाकारों ने “दुर्गास्तुति” प्रस्तुत की

दोपहर सत्र में मुंबई स्थित स्मितालय के कलाकारों ने “दुर्गास्तुति” प्रस्तुत की। इसके अलावा “शिवाष्टक”, “अष्टपदी”, “छायापट पल्लवी” और “बिलोहरी पल्लवी” जैसी प्रस्तुतियां भारत के विभिन्न राज्यों और जर्मनी सहित विदेशों से आए कलाकारों द्वारा दी गईं। सत्र का समापन कल्पदीप संस्थान की सशक्त समूह प्रस्तुति “शिव तांडव” से हुआ।

संध्या सत्र में एकल और युगल नृत्यों की छटा

शाम के सत्र में श्रीदत्त भोला, अंजलि दास, लोपामुद्रा साहू सहित कई नृत्यांगनाओं की एकल और युगल प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम का समापन आद्याशा फाउंडेशन के कलाकारों की समूह ओडिशी प्रस्तुति से हुआ। इस अवसर पर वरिष्ठ ओडिशी गुरु दुर्गा चरण रणबीर, प्रसिद्ध नृत्यांगना गुरु इलेना चितारिस्ती और गुरु केलुचरण महापात्र ओडिशी अनुसंधान केंद्र की प्रशासनिक अधिकारी सुचिस्मिता मंत्री सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

30 दिसंबर तक चलेगा महोत्सव

उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय ओडिशी नृत्य महोत्सव 26 से शुरू हुआ और 30 दिसंबर तक रवींद्र मंडप में आयोजित किया जा रहा है। इसमें भारत और विदेशों से लगभग 350 ओडिशी नृत्य कलाकार भाग ले रहे हैं, जो ओडिशी नृत्य की वैश्विक पहुंच और उसकी शाश्वत परंपरा का उत्सव है।

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