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ओड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण व शोध को मिलेगा नया मंच
भुवनेश्वर। ओड़िया भाषा और संस्कृति के संरक्षण एवं अकादमिक विस्तार की दिशा में एक अहम पहल करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में जल्द ही ओड़िया अध्ययन केंद्र की स्थापना की जाएगी। इस केंद्र के माध्यम से ओड़िया भाषा, साहित्य, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत पर शिक्षण, शोध और विमर्श को बढ़ावा मिलेगा।
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी
ओड़िशा की समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक परंपरा को राष्ट्रीय मंच देने के उद्देश्य से यह केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इससे देश के विभिन्न हिस्सों के छात्र ओड़िया भाषा और साहित्य का औपचारिक अध्ययन कर सकेंगे, वहीं शोधार्थियों को भी नई संभावनाएं मिलेंगी।
शिक्षण, शोध और सांस्कृतिक गतिविधियों पर फोकस
ओड़िया अध्ययन केंद्र में भाषा और साहित्य से जुड़े पाठ्यक्रमों के साथ-साथ शोध परियोजनाएं, संगोष्ठियां, व्याख्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने की योजना है। इसके जरिए ओड़िया साहित्य के प्राचीन से आधुनिक काल तक के योगदान को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया जाएगा।
छात्रों और शोधार्थियों को मिलेगा लाभ
इस केंद्र के खुलने से दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ-साथ देश-विदेश से आने वाले शोधार्थियों को भी ओड़िया अध्ययन के लिए एक समर्पित अकादमिक मंच मिलेगा। इससे अंतरविषयक अध्ययन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा।
संवैधानिक भाषा के रूप में ओड़िया को मजबूती
गौरतलब है कि ओड़िया भारत की शास्त्रीय भाषाओं में शामिल है। दिल्ली विश्वविद्यालय में ओड़िया अध्ययन केंद्र की स्थापना को भाषा के संवैधानिक दर्जे और सांस्कृतिक महत्व को और मजबूती देने के रूप में देखा जा रहा है।
ओडिशा की संस्कृति के प्रचार की दिशा में अहम कदम
शैक्षणिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल न केवल ओड़िया भाषा के संरक्षण में सहायक होगी, बल्कि ओड़िशा की कला, परंपरा और सांस्कृतिक पहचान को देश की राजधानी में सशक्त रूप से स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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