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17 साल बाद ऑपरेशन गोसमाह के 16 जवानों को सम्मान की पहल

  •     पुलिसकर्मियों के लिए राष्ट्रपति वीरता पदक का प्रस्ताव

  •     एडीजी (ऑपरेशंस) ने डीजीपी को भेजा पत्र

  •     दो शहीदों के परिजनों की मांग के बाद पहल

  •     नयागढ़ में माओवादी हमले के बाद हुए चला था ऐतिहासिक अभियान

भुवनेश्वर। ऑपरेशन गोसमाह के करीब 17 वर्ष बाद ओडिशा पुलिस ने उस ऐतिहासिक अभियान में शामिल 16 पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को सम्मानित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह अभियान देश के सबसे समन्वित और प्रभावशाली नक्सल विरोधी अभियानों में गिना जाता है।

एडीजी (ऑपरेशंस) संजीव पंडा ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वाईबी खुरानिया को पत्र लिखकर ‘ऑपरेशन गोसमाह’ में शामिल अधिकारियों और जवानों के लिए राष्ट्रपति वीरता पदक का प्रस्ताव भेजा है। यह पहल हाल ही में अभियान में शहीद हुए दो सुरक्षाकर्मियों के परिजनों द्वारा उनके बलिदान को अब तक औपचारिक मान्यता न मिलने की ओर ध्यान दिलाए जाने के बाद की गई है।

पत्र में एडीजी पंडा ने दो शहीदों सहित चार कांस्टेबल, एक सूबेदार, एक डिप्टी सूबेदार, एक हवलदार, एक सब-इंस्पेक्टर और छह आईपीएस अधिकारियों के नाम राष्ट्रपति वीरता पदक के लिए अनुशंसित किए हैं। इन सभी ने फरवरी 2008 में नयागढ़ में हुए सीपीआई (माओवादी) के सबसे घातक हमलों में से एक के बाद शुरू किए गए ‘ऑपरेशन गोसमाह’ के दौरान असाधारण साहस और शौर्य का परिचय दिया था।

तीन ने दिया था सर्वोच्च बलिदान

इस अभियान में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के सहायक कमांडेंट पीके सतपथी, ब्रह्मपुर पुलिस के कांस्टेबल सुसांत गौड़ा और सातवीं बटालियन ओएसएपी के सिपाही एसएन पंडा ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। सहायक कमांडेंट सतपथी को उनकी वीरता के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया, लेकिन अन्य शहीदों सहित कई अधिकारियों और जवानों की वीरता को अब तक औपचारिक सम्मान नहीं मिल पाया था।

15 फरवरी 2008 की रात माओवादियों ने मचाया था तांडव

15 फरवरी 2008 की रात करीब 400 भारी हथियारों से लैस माओवादी उग्रवादियों ने नयागढ़ जिला पुलिस शस्त्रागार, दशपल्ला स्थित पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय के शस्त्रागार, नुआगांव थाना और महीपुर पुलिस चौकी पर एक साथ हमला कर दिया था।

हमले में 15 पुलिसकर्मी हुए थे शहीद, हजारों हथियार लूटे

इस हमले में 15 पुलिसकर्मी शहीद हो गए और उग्रवादियों ने एक हजार से अधिक हथियार लूट लिये, जिनमें एलएमजी, एके-47, इंसास और अन्य स्वचालित हथियार शामिल थे। इससे पहले नयागढ़ जिले में माओवादी गतिविधियों का कोई इतिहास नहीं था।

हमले के बाद चला था अभियान

हालांकि उस समय ओडिशा पुलिस की नक्सल विरोधी तैयारी शुरुआती चरण में थी, फिर भी ब्रह्मपुर, गंजाम, कंधमाल और बलिगुड़ा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तथा सीआरपीएफ ने तुरंत मोर्चा संभाला और ‘ऑपरेशन गोसमाह’ शुरू किया। 16 फरवरी को सुरक्षा बलों ने गंजाम जिले के तारासिंगी थाना क्षेत्र के अंतर्गत गोसमाह जंगल में माओवादियों का पता लगाया। ऊंची पहाड़ियों पर एलएमजी और अन्य स्वचालित हथियारों के साथ मोर्चा संभाले उग्रवादियों के बावजूद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई जारी रखी, जिससे माओवादी पीछे हटने को मजबूर हुए।

जवाबी अभियान में 700 से अधिक हथियार और 70 हजार राउंड गोलियां बरामद

इस अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने 700 से अधिक हथियार और करीब 70 हजार राउंड गोलाबारूद बरामद किया, जो उस समय देश में किसी एकल नक्सल या आतंकवाद विरोधी अभियान में सबसे बड़ी बरामदगी मानी गई।

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