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हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
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बिश्नुपुर ग्राम पंचायत के महेश्वर जेना की अयोग्यता बरकरार रखा
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कहा- राज्य की आधिकारिक भाषा ओड़िया में कार्यात्मक साक्षरता कानूनी आवश्यकता
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पंचायत में होगा नया चुनाव
भुवनेश्वर। ओडिशा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि ओडिशा में सरपंच पद के लिए उम्मीदवार का ओड़िया भाषा पढ़ने और लिखने में सक्षम होना अनिवार्य है। अदालत ने इसी आधार पर बिश्नुपुर ग्राम पंचायत के महेश्वर जेना की अयोग्यता को सही ठहराते हुए नया चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि राज्य की आधिकारिक भाषा ओड़िया में कार्यात्मक साक्षरता कानूनी आवश्यकता है और इसे किसी भी हालत में दरकिनार नहीं किया जा सकता।
अदालत ने टिप्पणी की कि यदि कोई व्यक्ति ओडिया पढ़ने में सक्षम नहीं है, तो वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है। केवल पढ़ लेने की क्षमता भी पर्याप्त नहीं है, ओडिया लिखने में सक्षम होना भी अनिवार्य है।
बेंच ने यह भी कहा कि 1964 के ओडिशा ग्राम पंचायत अधिनियम की धारा 19 के तहत एक सरपंच को कई प्रशासनिक दायित्व निभाने होते हैं, इसलिए पढ़ने और लिखने दोनों की क्षमता कानूनी रूप से अपेक्षित है।
याचिकाकर्ता महेश्वर जेना की दलील खारिज
यह मामला महेश्वर जेना से जुड़ा था, जिन्होंने 20 अप्रैल 2024 को बालेश्वर के सिविल जज के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। निचली अदालत ने उन्हें 1964 अधिनियम की धारा 11 के तहत अयोग्य घोषित किया था।
हाईकोर्ट ने पाया कि निचली अदालत ने जेना द्वारा लिखे गए ओड़िया के नमूनों की जांच की थी, जिन्हें पढ़कर कोई अर्थ नहीं निकल रहा था।
अदालत ने कहा कि यह निष्कर्ष पूर्णतः वैध है और इसमें किसी भी प्रकार की कानूनी त्रुटि नहीं है।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अयोग्यता स्थायी नहीं है। यदि व्यक्ति ओडिया पढ़ने और लिखने की योग्यता बाद में हासिल कर ले, तो उसकी अयोग्यता समाप्त हो सकती है।
पहले भी आया था ऐसा ही मामला
इससे पहले, फरवरी 2023 में ढेंकानाल में सिविल जज (कनिष्ठ श्रेणी) ने इसी आधार पर गेंगुटिया ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच का चुनाव रद्द कर दिया था। अदालत ने उस पंचायत में भी “कैजुअल वेकेंसी” घोषित करते हुए नए चुनाव के आदेश दिए थे।
नए चुनाव का मार्ग प्रशस्त
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बिश्नुपुर ग्राम पंचायत में सरपंच पद के लिए नया चुनाव कराया जाएगा।
यह फैसला राज्यभर में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल भी साबित हो सकता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सरपंच पद संभालने वाले व्यक्ति ओडिया भाषा में प्रशासनिक कार्य कुशलता से कर सकें।
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