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पहली बार राष्ट्रपति ने किया ऐतिहासिक संबोधन
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द्रौपदी मुर्मू ने विधायकों को दी सुशासन की सीख
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कहा-मैं आज जो भी हूं, इस सदन की वजह से हूं
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भावुक राष्ट्रपति ने जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहने और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की दी नसीहत
भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा गुरुवार को उस समय एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बनी, जब भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सदन को संबोधित किया और ऐसा करने वाली देश की पहली राष्ट्रपति बनीं। अपने संबोधन की शुरुआत में ही उन्होंने भावुक होकर कहा कि मैं आज जो भी हूं, इस सदन की वजह से हूं। उनकी इस वापसी ने न केवल राजनीतिक यादों को ताजा किया, बल्कि ओडिशा की धरती से उनके गहरे भावनात्मक जुड़ाव को भी उजागर किया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने विधायकों को सुशासन, सदन की गरिमा, जिम्मेदारियों के प्रति सजगता और जनता की आकांक्षाओं को समझते हुए कार्य करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में विधानसभा की हर गतिविधि देश-दुनिया में तुरंत दिखती है, इसलिए जनप्रतिनिधियों को अपने आचरण से नई मिसालें स्थापित करनी चाहिए। उनका संबोधन राज्य की राजनीतिक विरासत, महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और 2036 तक ‘समृद्ध ओडिशा’ के निर्माण के आह्वान के रूप में प्रेरणादायक संदेश छोड़ गया।
राजनीतिक जीवन की यादों से भावुक हुईं राष्ट्रपति
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन की शुरुआत सदन के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए की। उन्होंने कहा कि उन्होंने कई राज्य विधानसभाओं को संबोधित किया है, लेकिन ओडिशा विधानसभा का संबोधन उनके लिए अनूठा है, क्योंकि यहीं से उनकी जनसेवा की वास्तविक यात्रा आरंभ हुई थी। उन्होंने महाप्रभु जगन्नाथ के आशीर्वाद का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके बिना वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक नहीं पहुंच सकती थीं।
खुद सवाल उठाती भी थीं और बतौर मंत्री जवाब भी देती थीं
अपनी विधायिका और मंत्री के रूप में बिताए दिनों को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वे इस सदन में सवाल उठाती भी थीं और बतौर मंत्री उन्हीं सवालों के जवाब भी देती थीं। उन्होंने खुशी जताई कि कई पुराने साथी आज सदन की दीर्घा में मौजूद थे, जिससे यह अवसर और भी यादगार बन गया।
गौरवशाली परंपरा पर गर्व व्यक्त किया
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने उद्बोधन में ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, समुद्री व्यापार के स्वर्णिम इतिहास और औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध राज्य के संघर्ष की चर्चा की। उन्होंने महान नेताओं, मधुसूदन दास, हरेकृष्ण महताब और बीजू पटनायक, के योगदान को भी नमन किया।
महिला नेतृत्व और बढ़ते प्रतिनिधित्व की सराहना
राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिशा में महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है, जो राज्य की प्रगतिशील सोच को दर्शाता है। उन्होंने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि वर्तमान में विधानसभा का संचालन एक महिला अध्यक्ष द्वारा किया जा रहा है, जो राज्य के सामाजिक बदलाव का सकारात्मक संकेत है।
2036 तक समृद्ध ओडिशा के निर्माण का आह्वान
ओडिशा को प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न बताते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि राज्य में अग्रणी बनने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने सभी विधायकों से आग्रह किया कि वे पूर्ण समर्पण के साथ कार्य करें ताकि 2036 तक एक ‘समृद्ध ओडिशा’ का निर्माण हो सके।
जनता के चेहरे पर मुस्कान लाना ही आपका कर्तव्य
उन्होंने याद दिलाया कि जनता अनेक सपनों के साथ अपने प्रतिनिधियों को सदन में भेजती है और उन सपनों को साकार करना विधायकों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जनता के चेहरे पर मुस्कान लाना ही आपका कर्तव्य है।
सदन में आचरण और मर्यादा बनाए रखने की सलाह
अपने संबोधन के अंत में राष्ट्रपति मुर्मू ने सदन के सदस्यों को भाषण और व्यवहार में गरिमा एवं संयम बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में सदन की हर गतिविधि क्षणभर में दुनिया भर में दिखाई देती है, इसलिए विधायकों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। राष्ट्रपति मुर्मू का यह ऐतिहासिक संबोधन ओडिशा की राजनीति, संस्कृति और विकास की दिशा पर एक प्रेरणादायक संदेश छोड़ गया।
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