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भुवनेश्वर का आधा शहर नो-पार्किंग जोन बनने से परेशानियां बढ़ी

  •     21 प्रमुख रास्तों पर एक साथ पार्किंग पर लगा प्रतिबंध

  •     वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव में भड़के लोग

  •     कट की लंबी दूरी बन रही नई और बड़ी समस्या

  •     छोटे-छोटे टर्न की मांग तेज

भुवनेश्वर। राजधानी भुवनेश्वर में पार्किंग को लेकर संकट गहराता जा रहा है। शहर का लगभग आधा हिस्सा अब ‘नो-पार्किंग जोन’ घोषित कर दिया गया है, जिसके बाद वाहन चालकों, व्यापारियों और स्थानीय निवासियों में नाराजगी तेज हो गई है। लोग पूछ रहे हैं कि जब शहर में पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था ही मौजूद नहीं है, तो इस अचानक लागू किए गए प्रतिबंध के बाद वाहन कहां खड़े करें?

कमिश्नरेट पुलिस ने सोमवार को शहर के 21 प्रमुख मार्गों पर एक साथ पार्किंग प्रतिबंध लागू कर दिया है। इन मार्गों पर हजारों दुकानें, मॉल, कार्यालय, सरकारी भवन और व्यावसायिक प्रतिष्ठान स्थित हैं। इन इलाकों में रोजाना लाखों लोग आते-जाते हैं, लेकिन अब यहां एक भी वाहन पार्क करना प्रतिबंधित है। यह आदेश लागू होते ही भारी विरोध शुरू हो गया, क्योंकि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के ऐसे कदम को लोग तानाशाहीपूर्ण फैसला बता रहे हैं।

प्रमुख मार्गों पर पूरी तरह प्रतिबंध, नागरिक परेशान

पार्किंग प्रतिबंध उन मार्गों पर लागू किया गया है, जो शहर के सबसे व्यस्त और व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र माने जाते हैं। राजमहल चौक से जयदेव विहार होते हुए कालहंगा तक का पूरा मार्ग, एयरपोर्ट से आचार्य विहार मार्ग से होते हुए नालको चौक तक का रास्ता, शिशु भवन चौक से राजमहल तथा मास्टर कैंटीन से वाणी विहार तक की सड़कें अब नो-पार्किंग जोन हैं।

इसी तरह रसूलगढ़ चौक से जयदेव विहार तक के हाई-ट्रैफिक मार्ग, श्रीया स्क्वायर से पीएचडी ऑफिस और गोपबंधु स्क्वायर से कल्पना स्क्वायर तक का क्षेत्र भी इसी श्रेणी में शामिल कर दिया गया है। इन मार्गों पर पहले ही वाहनों का भारी दबाव रहता है, ऐसे में प्रतिबंध के बाद पार्किंग की समस्या और गंभीर हो गई है। दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक पार्किंग की जगह न मिलने के कारण दुकान पर आना कम कर रहे हैं, जिससे व्यापार पर सीधा असर पड़ रहा है।

जब्त वाहनों को सड़क पर रखने पर उठा सवाल

शहर के बुद्धिजीवियों ने भी प्रशासन से जवाब मांगा है। उनका कहना है कि इन्फोसिटी थाना के सामने पिछले कई सालों से जब्त वाहन सड़क पर खड़े हैं, जो कि स्वयं अवैध पार्किंग की श्रेणी में आता है। सवाल यह उठा कि जब आम नागरिक को अवैध पार्किंग पर चालान किया जाएगा, तब सड़क पर खड़े इन जब्त वाहनों के लिए जिम्मेदार कौन होगा? इस मुद्दे पर पुलिस ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

स्मार्ट सिटी, लेकिन पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं

भुवनेश्वर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत देश के मॉडल शहरों में गिना जाता है, लेकिन पार्किंग के मामले में अब भी पिछड़ा हुआ है। शहर के किसी बड़े बाजार क्षेत्र में मल्टी-लेवल पार्किंग नहीं है। न ही बड़े पैमाने पर संगठित ओपन पार्किंग का प्रावधान किया गया है। ऐसे में जब एक साथ इतने बड़े क्षेत्र में पार्किंग प्रतिबंध लगाए गए, तो नागरिकों के सामने जगह की तलाश सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।

पहले व्यवस्था करें, फिर प्रतिबंध लगाएं

लोगों का कहना है कि दुकानों, मॉल, कार्यालयों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए निर्धारित पार्किंग की व्यवस्था करना नियम है, लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि दुकानदार इन स्थानों का उपयोग दूसरे कामों में कर लेते हैं। इससे सड़क पर पार्किंग का दबाव बढ़ जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिबंध लगाना गलत नहीं है, लेकिन इसकी प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जरूरी था कि पहले पर्याप्त वैकल्पिक पार्किंग की व्यवस्था की जाती, ताकि लोग परेशान न हों।

लंबी दूरी पर कट होने से बढ़ रही है परेशानी

नो-पार्किंग के साथ-साथ शहरवासियों को एक और गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कई मार्गों पर कट या टर्न की दूरी आधा से एक किलोमीटर तक बढ़ा दी गई है। इससे छोटी दूरी की यात्राएं भी लंबी हो जाती हैं और वाहनों की संख्या बढ़ने से जाम की स्थिति पैदा होती है। लोग बार-बार यह शिकायत कर रहे हैं कि हर टर्न के लिए इतनी लंबी दूरी तय करना पड़ता है कि पेट्रोल-डीजल की खपत भी बढ़ जाती है और यात्रा में अधिक समय भी लगता है।

कई स्थानों पर तो स्थिति यह है कि मात्र दस मीटर अंदर स्थित किसी दुकान या ऑफिस जाने के लिए वाहन चालकों को एक किलोमीटर आगे जाकर यू-टर्न लेना पड़ता है। इससे सड़क पर दबाव बढ़ने के साथ-साथ प्रदूषण भी बढ़ रहा है।

छोटी दूरी पर टर्न से मिल सकती है जाम से राहत

यातायात विशेषज्ञों का मत है कि शहर में छोटे-छोटे अंतराल पर राइट और लेफ्ट टर्न की व्यवस्था विकसित की जानी चाहिए। इससे न केवल जाम की समस्या कम होगी, बल्कि ईंधन की भी बचत होगी और दुर्घटनाओं की संभावना भी घटेगी। यदि हर 300–400 मीटर पर वैज्ञानिक तरीके से कट और टर्न विकसित किए जाएं, तो ट्रैफिक का दबाव भी वितरित होगा और सड़कें सुचारू रूप से चल सकेंगी।

अभी भी प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतज़ार

पार्किंग और कट की समस्याओं के चलते शहर में भारी असंतोष है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द ही वैकल्पिक पार्किंग व्यवस्था, मल्टी-लेवल पार्किंग निर्माण या अस्थायी पार्किंग स्थल बनाने की घोषणा करेगा। साथ ही कट की दूरी कम करने का निर्णय भी लिया जाएगा, ताकि आम नागरिकों की परेशानी कम हो सके। फिलहाल, नागरिकों की नाराजगी और बढ़ती शिकायतों के बीच शहर प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतज़ार जारी है।

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