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325 करोड़ के जीएसटी घोटाले में आरोपी सीए से जेल में पूछताछ

  •     मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट निलेश योगेश जिगियोवाला पर है फर्जी टैक्स क्रेडिट नेटवर्क चलाने का आरोप

  •     105 कंपनियों के जुड़े होने के संकेत

  •     जांच में कई और गिरफ्तारियां संभव

  •     जेल के अंदर संदिग्ध लेनदेन और नेटवर्क की पुष्टि के लिए पूछताछ

भुवनेश्वर। 325 करोड़ रुपये के कथित जीएसटी फर्जीवाड़े में गिरफ्तार किए गए मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट निलेश योगेश जिगियोवाला से मंगलवार को झारपड़ा हाई-सिक्योरिटी जेल में जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की टीम ने गहन पूछताछ की। न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद विशेष अनुमति के तहत जेल परिसर के भीतर यह पूछताछ की गई।

सूत्रों के अनुसार, जिगियोवाला को 6 नवंबर को मुंबई स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था। बाद में कोर्ट में पेश कर उन्हें रिमांड पर भेजा गया। जांच आगे बढ़ने पर डीजीजीआई भुवनेश्वर इकाई ने जेल में ही पूछताछ की अनुमति मांगी, जिसे जारी वित्तीय जांच का हिस्सा मानते हुए मंजूरी दी गई।

सूत्र बताते हैं कि विशेष जांच टीम ने जेल में प्रवेश कर संदिग्ध लेनदेन की पुष्टि, फर्जी क्रेडिट का लाभ लेने वालों की पहचान और नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों के बारे में जानकारी जुटाई। अधिकारियों का कहना है कि जांच का मुख्य उद्देश्य पैसे के प्रवाह की पूरी श्रृंखला को समझना और यह पता लगाना है कि किन कंपनियों ने अवैध जीएसटी क्रेडिट का लाभ उठाया।

देशव्यापी फर्जी क्रेडिट नेटवर्क के तार उजागर

रिपोर्टों के अनुसार, जिगियोवाला पर आरोप है कि उन्होंने छोटे व्यापारियों और फर्मों के नाम पर पंजीकृत जीएसटी नंबरों का उपयोग कर बड़ी कंपनियों को अवैध इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) दिलाने का नेटवर्क चलाया। डीजीजीआई के अधिकारियों ने इसे एक सुनियोजित धोखाधड़ी बताया, जिसमें वास्तविक कारोबारी पहचान का दुरुपयोग कर सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया गया।

105 बड़ी कंपनियों ने इस फर्जी नेटवर्क से लाभ लिया

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि 105 बड़ी कंपनियों ने इस फर्जी नेटवर्क से लाभ लिया। आरोप है कि छोटे जीएसटी खातों को ‘एंट्री पॉइंट’ बनाकर बड़ी कंपनियों के लिए भारी-भरकम टैक्स सब्सिडी दिखाकर कर भुगतान से बचा गया।

राशि बढ़ने की आशंका

डीजीजीआई सूत्रों का कहना है कि 325 करोड़ रुपये की दिखाई गई राशि आगे बढ़ सकती है, क्योंकि लेनदेन की कड़ियां और विस्तृत हो रही हैं। जब्त दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉर्ड की जांच जारी है, जिसमें कई राज्यों में मौजूद नेटवर्क के संचालकों की भूमिका भी सामने आ सकती है।

संदिग्ध कंपनियों के प्रतिनिधियों को तलब करने की तैयारी

भुवनेश्वर जोनल यूनिट संदिग्ध कंपनियों के प्रतिनिधियों को तलब करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, जांच जेल से ही आगे बढ़ेगी और आंतरिक वित्तीय ऑडिट के आधार पर आने वाले हफ्तों में और गिरफ्तारियाँ भी संभव हैं।

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