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ब्रह्मपुर एसपी से मांगा जवाब
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कहा– न्यायालय में विचाराधीन मामले पर सार्वजनिक टिप्पणी क्यों की गई
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एसपी को 7 नवम्बर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश
भुवनेश्वर। ओडिशा हाईकोर्ट ने ब्रह्मपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सरवण विवेक एम के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने उनसे यह स्पष्टीकरण मांगा है कि उन्होंने न्यायालय में विचाराधीन मामले पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी क्यों की। अदालत ने एसपी को 7 नवम्बर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और यह भी पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। इसी दिन मामले की अगली सुनवाई भी निर्धारित की गई है।
मामला पीतावास पंडा हत्याकांड से जुड़ा है, जिसकी जांच के दौरान एसपी सरवण विवेक एम ने मीडिया में कुछ बयान दिए थे। अपने बयान में उन्होंने कथित रूप से बताया था कि 2024 के आम चुनावों के बाद पिंटू दास नामक व्यक्ति ने ब्रह्मपुर विधायक के अनिल कुमार के खिलाफ एक याचिका दाखिल की थी। एसपी के अनुसार, यदि ब्रह्मपुर विधानसभा चुनाव को अवैध घोषित कर दिया जाता, तो उपचुनाव कराए जाते और उस स्थिति में विक्रम पंडा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते।
एसपी ने यह भी कहा था कि विक्रम पंडा ने कथित रूप से पिंटू की याचिका को वित्तीय सहायता दी थी, जिसे उन्होंने मनोज पंडा के माध्यम से दाखिल कराया। उन्होंने अपने बयान में यह भी उल्लेख किया कि विधायक के अनिल कुमार के खिलाफ दायर चुनाव याचिका में विक्रम पंडा और शिबा शंकर दास के बीच एक सामान्य संबंध पाया गया।
अदालत ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए कहा कि किसी भी सरकारी अधिकारी द्वारा न्यायालय में लंबित मामले पर सार्वजनिक टिप्पणी करना न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप माना जा सकता है। इसलिए एसपी से यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया और उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। अब सभी की निगाहें 7 नवम्बर की सुनवाई पर टिकी हैं, जब एसपी सरवण विवेक एम अपना लिखित जवाब हाईकोर्ट में दाखिल करेंगे।
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