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परंपरागत रथयात्रा तिथि को पालन करने का आग्रह किया
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पत्र लिखकर जताई चिंता, कहा-धार्मिक परंपरा और शास्त्रों की अवहेलना अस्वीकार्य
भुवनेश्वर। पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और गजपति महाराज दिव्यसिंह देव ने इस्कॉन शासकीय निकाय को एक विस्तृत पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह रथयात्रा केवल उसी नौ दिवसीय पावन अवधि में आयोजित करे, जो हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि से आरंभ होती है। उन्होंने कहा कि यह तिथि शास्त्रों में निर्दिष्ट और पारंपरिक रूप से मान्य है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन धार्मिक परंपरा का उल्लंघन है।
गजपति महाराज ने यह पत्र इस्कॉन अध्यक्ष गोवर्धन दास को संबोधित करते हुए लिखा है। उन्होंने इस्कॉन द्वारा विभिन्न देशों में मनमानी तिथियों पर रथयात्रा आयोजित करने पर गहरी आपत्ति जताई और इसे “शास्त्रों और स्थापित परंपराओं का उल्लंघन” बताया।
गौरतलब है कि इस्कॉन ने हाल ही में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नानयात्रा मनाने पर सहमति जताई थी, लेकिन रथयात्रा को पारंपरिक तिथि यानी आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को मनाने से इनकार कर दिया था। इस निर्णय ने भक्तों के बीच असंतोष पैदा किया है।
गजपति महाराज ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा कि श्रीजगन्नाथ रथयात्रा और स्नानयात्रा दोनों को शास्त्रसम्मत तिथियों पर ही मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे महाशिवरात्रि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, गणेश चतुर्थी, दीपावली, दुर्गापूजा, वसंत पंचमी और मकर संक्रांति जैसे पर्व निर्धारित तिथियों पर पूरे विश्व में मनाए जाते हैं, वैसे ही रथयात्रा को भी केवल निर्धारित अवधि में ही मनाया जाना चाहिए।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अन्य धर्मों में भी पर्व और उपवास चंद्र कैलेंडर या धार्मिक ग्रंथों में बताई गई तिथियों पर ही मनाए जाते हैं, चाहे वह क्रिसमस हो, ईद हो, बुद्ध पूर्णिमा हो या पारीषण महापर्व। इसलिए केवल स्थानीय सुविधा या प्रसाद वितरण के कारण किसी धार्मिक तिथि में परिवर्तन उचित नहीं है।
गजपति महाराज ने कहा कि श्रीजगन्नाथ स्वंय परमात्मा हैं और रथयात्रा की विशिष्ट तिथियां स्वयं भगवान ने निर्धारित की हैं, जैसा कि स्कंद पुराण, ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण में उल्लेखित है। इस आदेश की अवहेलना भगवान की आज्ञा की अवज्ञा के समान है।
उन्होंने यह भी लिखा कि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने भी इस्कॉन द्वारा पारंपरिक तिथि से हटकर रथयात्रा मनाने की कड़ी निंदा की है।
अंत में गजपति महाराज ने इस्कॉन से आग्रह किया कि वह अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे और सुनिश्चित करे कि विश्वभर में श्रीजगन्नाथ रथयात्रा केवल आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया से आरंभ होने वाली नौ दिवसीय पावन अवधि में ही आयोजित की जाए, ताकि सनातन वैदिक परंपरा और श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान बना रहे।
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