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भाजपा नेता पीतावास पंडा की हत्या राजनीतिक और व्यक्तिगत रंजिश में हुई

  •     पुलिस ने किया हत्याकांड का खुलासा

  •     50 लाख की सुपारी, दो बार रची गई साजिश

  •     नए हत्यारे और राजनीतिक रंजिश का बिछा था जाल

  •     ब्रह्मपुर पुलिस ने बताया पूरा घटनाक्रम

  •     छह टीमों की जांच में सामने आई सनसनीखेज साजिश

ब्रह्मपुर। ओडिशा के चर्चित भाजपा नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता पीतावास पंडा की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। ब्रह्मपुर पुलिस अधीक्षक सरवण विवेक एम ने बताया कि यह हत्या राजनीतिक और व्यक्तिगत रंजिश का परिणाम थी, जिसे बेहद योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया। पुलिस की जांच में सामने आया है कि इस वारदात के पीछे पूर्व नेताओं के करीबी लोग, बाहरी अपराधी और स्थानीय गिरोह सभी शामिल थे। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पुलिस हर आरोपी तक पहुंचेगी और न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।

पहली टीम ने की थी जासूसी

हत्या की साजिश का पहला चरण सितंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू हुआ। पुलिस अधीक्षक के अनुसार, 10 से 14 सितंबर के बीच बिहार से एक टीम ब्रह्मपुर आई थी। इस टीम का काम पंडा की गतिविधियों पर नजर रखना और उनकी दिनचर्या को समझना था। यह टीम उमा बिसोई और जोगी उर्फ जोगिंदर राउत के संपर्क में आई थी, जबकि सीमांचल नायक को मध्यस्थ के रूप में लगाया गया था। टीम के चार लोग अलकापुरी में किराए के मकान में ठहरे, जहां मकान मालिक को मलय बिसोई ने यह कहकर गुमराह किया कि वे इलाज के लिए आए हैं।

14 सितंबर को हत्या की पहली योजना बनी थी और 10 लाख रुपये का सौदा हुआ था, लेकिन बिहार से आए एक युवक की पत्नी के गर्भपात के कारण उसे लौटना पड़ा और योजना टाल दी गई।

पहली विफलता पर दूसरी टीम बनी

पहली योजना विफल होने के बाद उमा बिसोई ने दूसरी टीम तैयार की, जिसमें स्थानीय युवक कुरुपति भुइंया और चिंतु प्रधान शामिल थे। चिंतु बेंगलुरु से बुलाया गया था। दोनों को पंडा के घर से मात्र 200 मीटर दूरी पर एक निजी ठिकाने में ठहराया गया और वहां से पंडा की दिनचर्या की निगरानी शुरू हुई।

हत्या के लिए कुरुपति को गोली चलाने और चिंतु को मोटरसाइकिल चलाने की जिम्मेदारी दी गई। उन्हें क्रमशः 5 लाख और 3 लाख रुपये देने की बात तय हुई थी।

ऐसा था हत्या की रात का पूरा घटनाक्रम

हत्या से एक दिन पहले दोनों आरोपियों को अलकापुरी के एक अधूरे निर्माणाधीन भवन में ठहराया गया। वहीं उन्हें दो बंदूकें, एक वाहन, कपड़े और जूते दिए गए।

6 अक्टूबर की रात 10 बजकर 1 मिनट पर, जब पंडा अपने घर के पास पहुंचे, तो दोनों हमलावरों ने पहले उन्हें नमस्कार किया और फिर अचानक उन पर गोलियां चला दीं।

गोली चलाने के बाद दोनों मौसी मां मंदिर और आकाशवाणी मार्ग से होते हुए भाग निकले। रास्ते में उन्होंने कपड़े, जूते और हेलमेट बदल दिए और शस्त्रों को स्टीलपल्ली इलाके में गाड़ दिया। वाहन को रामेश्वरम के पास एक चाय की दुकान के समीप छोड़ दिया गया।

हत्या के बाद चिंतु ट्रेन से बेंगलुरु लौट गया, जबकि कुरुपति पुरी और फिर जयपुर (जयंतीनगर) चला गया, जहां पूर्व विधायक विक्रम पंडा के सहयोगी सुनील होता ने उसे चार दिन तक शरण दी और फिर उसे राज्य से बाहर भेज दिया।

50 लाख की सुपारी और गहरी साजिश का खुलासा

जांच में पता चला कि पंडा की हत्या के लिए कुल 50 लाख रुपये का सौदा हुआ था, जिसमें 10 लाख की अग्रिम राशि मलय बिसोई ने उमा बिसोई को दी थी।

राजनीतिक और व्यक्तिगत रंजिश दोनों थीं वजह

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि हत्या में पूर्व मेयर शिवशंकर दास उर्फ पिंटू दास का नाम सामने आया है। पिंटू दास के सहयोगी शांति मिश्र की 2013 में हत्या हुई थी, और उस मामले में पंडा आरोपी पक्ष की पैरवी कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, विक्रम पंडा, पिंटू दास, मदन दलई और मलय बिसोई को यह आशंका थी कि पंडा की सक्रियता उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में बाधा बन सकती है। पिंटू दास ने इससे पहले पंडा पर हत्या के प्रयास का मुकदमा भी दर्ज कराया था।

गंजाम बीजद अध्यक्ष विक्रम पंडा सहित 12 गिरफ्तार

पुलिस ने पूर्व विधायक और गंजाम बीजद अध्यक्ष विक्रम पंडा को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि अब तक कुल 12 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों में पूर्व मेयर शिव शंकर दास उर्फ पिंटू दास, पार्षद मलय बिसोई, छात्र नेता मदन दलई, दो सुपारी किलर, एक स्थानीय शूटर और एक व्यक्ति शामिल हैं, जो अधिवक्ता की गतिविधियों पर नजर रखता था। पुलिस के अनुसार, उमा बिसोई, सुदर्शन जेना और कुरुपति भुइंया अभी फरार हैं।

देर रात विक्रम पंडा की हुई गिरफ्तारी

एसपी सरवन विवेक एम के नेतृत्व में पुलिस दल ने मंगलवार देर रात विक्रम पंडा के घर पहुंचकर उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। बुधवार को उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया।

समर्थकों का थाने पर जमावड़ा

मंगलवार की रात इस घटना की खबर फैलते ही विक्रम पंडा के समर्थक बड़ी संख्या में बैद्यनाथपुर थाना पहुंच गए और उनके ठिकाने की जानकारी की मांग करने लगे। हालांकि, पुलिस ने यह नहीं बताया है कि पूर्व विधायक को कहां रखा गया है।

जांच में और गिरफ्तारियां संभव

सूत्रों के अनुसार, जांच में और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। पुलिस ने अब तक लगभग 100 लोगों से पूछताछ की है और 70 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच की है।

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