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राजनीति में विक्रम और पीतावास की दोस्ती ने लिया खतरनाक मोड़

  •     भाजपा नेता पीतावास पंडा हत्याकांड की साजिश में जुड़ा नाम

  •     पूर्व मेयर पिंटू दास के खिलाफ 38 आपराधिक मामले, चार साल जेल में रहे

  •     जेल से छूटने के बाद दोस्त विक्रम पंडा से बढ़ी नजदीकी, यहीं से रची गई हत्या की साजिश

ब्रह्मपुर। गंजाम के चर्चित अधिवक्ता और भाजपा नेता पीतावास पंडा की हत्या में राजनीति और व्यक्तिगत दुश्मनी का एक भयावह मिजाज सामने आया है, जहां लंबे समय तक मित्र रहे विक्रम पंडा और पीतावास पंडा की दोस्ती ने एक खतरनाक मोड़ ले लिया। पूर्व मेयर पिंटू दास, जिनके खिलाफ 38 आपराधिक मामले दर्ज हैं और जो चार साल जेल में रह चुके हैं, जेल से छूटने के बाद विक्रम पंडा के साथ अपनी नजदीकी बढ़ाने लगे। यही गठजोड़ धीरे-धीरे हत्या की साजिश में बदल गया, जिसका शिकार बने वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता पीतावास पंडा।

गंजाम के चर्चित अधिवक्ता और भाजपा नेता पीतावास पंडा की हत्या ने पूरे ओडिशा को झकझोर दिया। जांच में सामने आया है कि इस साजिश की जड़ें कई साल पुरानी दोस्ती और विश्वासघात से उपजी दुश्मनी में छिपी थीं।

कॉलेज के दिनों से बेहद करीबी मित्र दोनों

ब्रह्मपुर के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जांच में पता चला है कि पीतावास पंडा और विक्रम पंडा कॉलेज के दिनों से बेहद करीबी मित्र थे। दोनों ने साथ में छात्र राजनीति की, एक-दूसरे के साथ मंच साझा किया और बरसों तक साथ चले। लेकिन वर्ष 2018 में जब विक्रम पंडा ने पार्टी बदली, तो पीताबास ने उनका साथ नहीं दिया। यहीं से दोनों के बीच मतभेद शुरू हो गए।

पीतावास खुलकर करते थे आलोचना

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इसके बाद पीतावास पंडा ने कई मौकों पर विक्रम पंडा की गतिविधियों और कार्यशैली की आलोचना की थी। वे खुलकर सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर विक्रम पंडा पर टिप्पणी करते थे। 2023 में जब पीतावास पंडा को राज्य बार काउंसिल चुनाव में सबसे अधिक मत मिले, तब विक्रम पंडा के प्रभाव के कारण उन्हें उपाध्यक्ष पद नहीं मिल सका। यह घटना दोनों के रिश्तों में स्थायी दरार डाल गई। विक्रम पंडा ने यह मान लिया कि पीतावास पंडा ही उनकी राजनीतिक और व्यावसायिक असफलताओं के पीछे हैं। यहां से उनकी नाराजगी प्रतिशोध में बदल गई।

अपराधों से भरा रहा पिंटू दास का अतीत

पूर्व मेयर शिवशंकर दास उर्फ पिंटू दास का आपराधिक इतिहास भी उतना ही चौंकाने वाला है। उनके खिलाफ 38 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हथियार कानून, और धमकी से जुड़े गंभीर अपराध शामिल हैं। वे लगभग चार साल तक जेल में रहे। जेल से छूटने के बाद उनकी नजदीकी विक्रम पंडा से बढ़ने लगी। दोनों अक्सर राजनीतिक बैठकों और निजी मुलाकातों में साथ देखे जाते थे।

पिंटू दास की पीतावास पंडा से दुश्मनी बहुत पुरानी थी। वर्ष 2013 में उनके करीबी शांति मिश्र की हत्या हुई थी। इस मामले में 13 आरोपी गिरफ्तार हुए थे, जिनका पक्ष पीतावास पंडा अदालत में वकील के रूप में देख रहे थे। पिंटू को विश्वास था कि पंडा के कारण मुकदमा लंबा खिंचा और कुछ मुख्य आरोपी जमानत पर छूट गए। बाद में उन्हीं में से एक ने पिंटू दास पर हमला करने की कोशिश की। इस घटना के बाद पिंटू को यकीन हो गया कि यह सब पीतावास की साजिश थी।

विधायक टिकट न मिलने से पिंटू का गुस्सा बढ़ा

पिंटू दास को यह भी विश्वास था कि विधायक टिकट न मिलने के पीछे पीतावास पंडा की भूमिका रही। इस वजह से उनका गुस्सा और बढ़ गया। जब विक्रम पंडा ने पार्टी बदलकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की, तब पिंटू दास ने उन्हें सहयोग देना शुरू किया। दोनों का साझा उद्देश्य पीतावास पंडा को रास्ते से हटाना था। दोनों का मानना था कि जब तक पीताबास जीवित रहेंगे, उनकी राजनीतिक संभावनाएं खत्म रहेंगी। इसीलिए दोनों ने अपने करीबी सहयोगियों मालय बिसोई और मदन दलेई के जरिये हत्या की योजना तैयार की।

सत्ता की साजिश और चुनावी दांव

जांच में यह भी सामने आया कि विक्रम पंडा और पिंटू दास ने एक चुनाव याचिका के जरिए अपने राजनीतिक हित साधने की योजना बनाई थी। यह याचिका पिंटू दास के कर्मचारी के नाम से दाखिल की गई थी, लेकिन इसके पीछे पूरा खर्च और कानूनी प्रक्रिया विक्रम पंडा के माध्यम से संचालित हो रही थी।

दोनों को विश्वास था कि यदि मौजूदा विधायक की सदस्यता रद्द होती है, तो विक्रम पंडा को टिकट मिलेगा और पिंटू दास को मेयर पद पर समर्थन मिलेगा। जैसे-जैसे याचिका की सुनवाई आगे बढ़ रही थी, वैसे-वैसे उन्हें यह डर सता रहा था कि यदि पीतावास पंडा जिंदा रहे, तो उन पर शक जाएगा। इसी डर ने उन्हें हत्या के लिए प्रेरित किया।

पुलिस टीम को बधाई

उल्लेखनीय है कि पुलिस ने जिस टीम का गठन किया था, उसमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आलोक जेना, डीएसपी प्रियस रंजन छोटराय, स्मृति प्रभा प्रधान, विवेकानंद स्वाईं, शुभ्रांशु परिडा, वैद्यनाथपुर थाना अधिकारी सुचित्रा परिडा, इंस्पेक्टर सौभाग्य स्वाईं, विभुति सेठी, एम लक्ष्मी रंजन शामिल थे। पुलिस अधीक्षक ने इन सभी अधिकारियों को हत्याकांड के खुलासे के बाद बधाई दी।

बीजद की टीम एसपी से मिली

बीजद नेता विक्रम पंडा की गिरफ्तारी के बाद पूर्व केंद्र मंत्री चंद्रशेखर साहू, पूर्व बीजद विधायक डा रमेश चंद्र चाउपटनायक, श्रीकांत साहू, पूर्णचंद्र स्वाईं, सुभाष चंद्र बेहरा, विपल्ब पात्र, देवानंद महापात्र, बीजद जिला परिषद अध्यक्ष अंजलि स्वाईं समेत बीजद की एक टीम ने पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की और विक्रम पंडा को फंसाने का आरोप लगाया और उनकी रिहाई की मांग की।

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