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ओडिशा में पार्ट प्लॉट्स पंजीकरण को लेकर नया एसओपी जारी

  •     अब भूखंडों के हिस्सों के पंजीकरण पर होगी सख्त निगरानी

  •     राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग का निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने भूखंडों (पार्ट प्लॉट्स) के पंजीकरण को लेकर नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जो राज्यभर में तत्काल प्रभाव से लागू होगी। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सोमवार को जारी इस अधिसूचना का उद्देश्य पंजीकरण अधिकारियों के बीच चल रही भ्रम की स्थिति को समाप्त करना है। विभाग ने पाया कि कई पंजीकरण अधिकारी पंजीकरण अधिनियम, 1908, ओडिशा पंजीकरण नियम, 1988 तथा पंजीकरण (ओडिशा संशोधन) अधिनियम, 2013 की धाराओं से पूर्णतः अवगत नहीं हैं।

नया एसओपी सभी पूर्ववर्ती अधिसूचनाओं और आदेशों को प्रतिस्थापित करेगा तथा भूखंडों के हिस्सों के पंजीकरण के लिए विस्तृत दिशानिर्देश प्रदान करेगा।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश

एसओपी में विभिन्न प्रकार की संपत्तियों के लिए कानूनी और प्रक्रियागत शर्तें स्पष्ट की गई हैं।

शहरी सीमा या विकास प्राधिकरण क्षेत्र से बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में भूखंडों का उपविभाजन सामान्यतः बिना किसी विशेष शर्त के किया जा सकता है। हालांकि ‘जलाशय किस्म के भूखंड’ केवल पूर्ण भूखंड के रूप में ही हस्तांतरित किए जा सकेंगे।

शहरी क्षेत्र या विकास या टाउन प्लानिंग प्राधिकरण सीमा के भीतर के ग्रामीण क्षेत्रों में उपविभाजन के लिए संबंधित विकास प्राधिकरण या टाउन प्लानिंग एंड इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट की लिखित अनुमति आवश्यक होगी। हालांकि, 2025 द्वितीय संशोधन नियमों के तहत कुछ छूटें दी गई हैं।

इन मामलों में बिना अनुमति मिलेगी छूट

नए एसओपी के अनुसार कुछ विशेष परिस्थितियों में पूर्व अनुमति के बिना आंशिक भूखंडों का पंजीकरण संभव होगा:

  1. पारिवारिक विभाजन:ओडिशा भूमि सुधार अधिनियम, 1960 के तहत परिभाषित परिवार के सदस्यों के बीच भूमि या बाय-प्लॉट का विभाजन किया जा सकता है।
  2. छोटे भूखंड (500 वर्ग मीटर से कम):यदि यह विभाजन रीयल एस्टेट परियोजनाओं के लिए नहीं है,तो एक बार की छूट के रूप में स्वघोषणा पर्याप्त होगी।
  3. सह-स्वामियों के बीच विभाजन: संयुक्त रूप से स्वामित्व वाली या विरासत में मिली भूमि को सहमति से बांटा जा सकता है,बशर्ते कुल क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर से अधिक न हो।
  4. पूर्व-स्थित छोटे भूखंड: 2025 संशोधन नियमों के लागू होने से पहले दर्ज 500 वर्ग मीटर से कम के भूखंडों का विभाजन अनुमेय होगा।
  5. कृषि भूमि: यदि भूमि का उपयोग केवल कृषि के लिए जारी रहेगा,तो उपविभाजन किया जा सकेगा। इसके लिए निष्पादकों को यह स्वघोषणा देनी होगी कि भूमि का उपयोग सिर्फ कृषि प्रयोजन के लिए होगा।

पंजीकरण अधिकारियों को दी गई विशेष जिम्मेदारी

नए एसओपी के तहत सभी पंजीकरण अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि प्रस्तुत नक्शे, सीमाएं और स्वघोषणाएं सत्यापित की जाएं। सभी आवश्यक दस्तावेज विधिवत रूप से प्रस्तुत हों। डीड में सम्मिलित स्वघोषणाएं सरकारी अभिलेख का स्थायी हिस्सा बनें।

अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जब वे यह सुनिश्चित कर लें कि सभी पक्ष उपस्थित हैं और दस्तावेज पर हस्ताक्षर की पुष्टि करते हैं, तब पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी की जाए।

उद्देश्य-पारदर्शिता और विवादों में कमी

राज्य सरकार के इस कदम का उद्देश्य भूमि पंजीकरण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और अनधिकृत उपविभाजनों से उत्पन्न विवादों को रोकना है। विभाग का कहना है कि नया एसओपी न केवल पंजीकरण अधिकारियों को स्पष्ट दिशा देगा, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाएगा।

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