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सामाजिक अनुसंधान को प्रोत्साहन के साथ ओडिशा के भविष्य के लिए को मिलेगा मार्गदर्शन – धर्मेंद्र प्रधान
भुवनेश्वर। ओडिशा रिसर्च सेंटर (ओआरएस), भुवनेश्वर और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस), मुंबई के बीच हुए एमओयू सामाजिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के साथ-साथ ओडिशा के भविष्य और युवा पीढ़ी के शोध के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। रविवार को आयोजित एमओयू हस्ताक्षर समारोह में शामिल होकर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ये बातें कहीं।
प्रधान की उपस्थिति में ओआरएस और टीआईएसएस मुंबई के बीच यह करार हुआ। दोनों संस्थानों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल दो शैक्षणिक संस्थानों के बीच का करार नहीं है, बल्कि ओडिशा के भविष्य और युवा पीढ़ी के शोध को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी पहल है। यह कदम ओडिशा के सामाजिक अनुसंधान और विकास क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करेगा।
इतिहास दर्पण के समान
उन्होंने आगे कहा कि इतिहास दर्पण के समान है। कोई भी राष्ट्र अपने इतिहास को याद किए बिना भविष्य नहीं देख सकता। ओडिशा में हुए कलिंग युद्ध का इतिहास अन्य देशों में भी उल्लेखित है। नाकटीदेउल के पास स्थित भीममंडली जैसे ऐतिहासिक स्थल और जगतसिंहपुर जिले का तिर्तोल क्षेत्र प्राचीन मानव सभ्यता से जुड़े होने का प्रमाण देते हैं। पुरी श्रीमंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर और लिंगराज मंदिर की वास्तुकला ओडिया समाज की वैज्ञानिक सोच और सामाजिक व्यवस्था का प्रतिबिंब है।
ओडिशा भाषा और साहित्य का भी लंबा इतिहास
ओडिशा भाषा और साहित्य का भी लंबा इतिहास है। सिद्ध बलराम दास का लक्ष्मी पुराण नारी सशक्तिकरण का एक बड़ा प्रतीक है। इन व्यवस्थाओं और साहित्य की जड़ों में वैज्ञानिक, सामाजिक और आर्थिक दर्शन छिपा हुआ है। वर्ष 2036 में ओडिशा, भाषा-आधारित राज्य के रूप में स्वतंत्र प्रांत बनने के 100 वर्ष पूरे करेगा और 2047 में देश स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा। हमें अपने इतिहास को प्राथमिकता देकर, ओडिशा रिसर्च सेंटर के माध्यम से शोध और तथ्यों के आधार पर युवा पीढ़ी तक सबकुछ पहुँचाना होगा।
ओडिशा असीम संभावनाओं वाला राज्य
प्रधान ने कहा कि ओडिशा असीम संभावनाओं वाला राज्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्वोदय कल्पना के अंतर्गत ओडिशा में न्यू एज इकोनॉमी तैयार करना समय की आवश्यकता है। राज्य का प्रत्येक जिला शिक्षा, परंपरा, कला, संस्कृति, इतिहास और साहित्य के दृष्टिकोण से अपनी अलग पहचान रखता है। महाप्रभु श्रीजगन्नाथ हमारे देवता हैं। ओडिया लोग हमेशा साहसी रहे हैं। बाइमुंडी, धर्मपद, बाजी राउत जैसे नाम समय-समय पर समाज और युवाओं के साहस और बलिदान का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
हमें बड़े सपने देखने होंगे
अब समय आ गया है कि हमें बड़े सपने देखने होंगे। शोध के माध्यम से ओडिशा की सभी संभावनाओं का उपयोग करना होगा। इस दिशा में आज का यह एमओयू स्वागतयोग्य कदम है, ऐसा विचार केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने व्यक्त किया।
इस समारोह में ओडिशा के उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा सेवा तथा ओड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति मंत्री सूर्यवंशी सूरज, आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो सुमन चक्रवर्ती, आईआईटी भुवनेश्वर के निदेशक प्रो श्रीपद करमलकर, आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव प्रो धनंजय सिंह, टीआईएसएस के कुलपति प्रो बद्री नारायण तिवारी, ओडिशा रिसर्च सेंटर के निदेशक प्रो चंडी प्रसाद नंद, सीएसआईआर-आईएमएमटी के निदेशक डॉ रामानुज नारायण, प्रो किशोर बाशा और प्रबंधन परिषद के अन्य सदस्यगण प्रमुख रूप से उपस्थित थे।