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वंशवाद पर साधा निशाना, पारदर्शिता को लेकर उठाए सवाल
भुवनेश्वर। बीजू जनता दल (बीजद) से निलंबन के बाद भी पूर्व प्रवक्ता श्रीमयी मिश्रा ने पार्टी नेतृत्व पर हमला जारी रखा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट कर वंशवाद और आंतरिक चुनावों में पारदर्शिता की कमी को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उनके तीखे बयानों ने बीजद के भीतर पहले से चल रही नाराजगी और मतभेदों को और उभार दिया है।
वंशवाद को बताया प्रतिभा
अपने ताजा पोस्ट में मिश्रा ने वंशवाद को सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि राजनीति ही नहीं, बल्कि शिक्षा, रोजगार और कला जैसे क्षेत्रों में भी वंशवाद प्रतिभाशाली और मेहनती लोगों के लिए अवसरों को सीमित करता है। इससे योग्य लोग हाशिये पर चले जाते हैं, जबकि रिश्तों और पद प्राप्त लोगों को अनुचित लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति समाज में असमानता और असंतोष को जन्म देती है।
किसी नेता का नाम नहीं लिया
भले ही उन्होंने किसी नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और नेतृत्व पर सीधा हमला माना जा रहा है।
आंतरिक चुनाव प्रक्रिया पर भी सवाल
मिश्रा इससे पहले भी बीजद की आंतरिक चुनाव प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा कर चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि पार्टी के सदस्यों के पास मतदान के लिए कोई विशेष पहचान संख्या नहीं है, जैसी आम चुनावों में ईपीआईसी नंबर होती है। ऐसी प्रणाली के अभाव में आंतरिक चुनावों को पूरी तरह वैध और पारदर्शी नहीं कहा जा सकता। उनका कहना है कि बिना पहचान प्रणाली के चुनावों में हेरफेर की संभावना रहती है, जिससे पदाधिकारियों की वैधता पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यदि पार्टी वास्तव में लोकतांत्रिक सिद्धांतों को अपनाना चाहती है, तो उसे अपने चुनावी ढांचे को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना होगा।
प्रतीकात्मक टिप्पणियों से बढ़ी बहस
मिश्रा ने अपने बयानों में महाभारत के पात्रों का उल्लेख करते हुए परोक्ष रूप से पार्टी नेतृत्व की शैली पर टिप्पणी की थी। उनके इन संकेतों ने पार्टी के भीतर चल रही खामोश असहमति को और उजागर कर दिया है।
बीजद के वरिष्ठ नेता और सांसद देवाशीष सामंताराय सहित कई नेता हाल के महीनों में पार्टी नेतृत्व से दूरी बनाते दिखे हैं। हालांकि, पार्टी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अब तक इन आरोपों या बढ़ते आंतरिक मतभेदों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
श्रीमयी मिश्रा के लगातार आक्रामक बयानों ने बीजद के भीतर लोकतंत्र, पारदर्शिता और नेतृत्व की जवाबदेही को लेकर बहस को नए सिरे से हवा दे दी है।