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अत्याचार पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए सरकार की बड़ी पहल
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति पर अत्याचार से जुड़े मामलों की जांच को और मजबूत करने के लिए विशेष पुलिस थानों की स्थापना पर विचार कर रही है। इस कदम का उद्देश्य शीघ्र प्राथमिकी दर्ज करना, समयबद्ध जांच करना और संवेदनशील मामलों का प्रभावी निपटारा सुनिश्चित करना है।
20 विशेष थानों का प्रस्ताव
मानवाधिकार सुरक्षा प्रकोष्ठ (एचआरपीसी) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें 20 ‘अनुसूचित जाति ओ जनजाति पुलिस थाने’ बनाने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही पुलिस मुख्यालय में तीन-स्तरीय प्रकोष्ठ बनाने का सुझाव दिया गया है, जो इन मामलों की निगरानी करेगा और समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।
बढ़ते मामलों पर चिंता
वर्ष 2022 से 2024 के बीच ओडिशा में 10,349 से अधिक मामले एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज हुए। जाजपुर, कटक ग्रामीण, केंद्रापड़ा, बलांगीर, भद्रक, जगतसिंहपुर, गंजाम, पुरी, ढेंकानाल, मयूरभंज, भुवनेश्वर, बरगड़, केंदुझर, कलाहांडी और बालेश्वर जैसे जिलों में हर साल 100 से अधिक मामले दर्ज होते हैं।
पड़ोसी राज्यों से पीछे ओडिशा
अत्याचार से जुड़े इतने अधिक मामलों के बावजूद वर्तमान में ओडिशा में सिर्फ एक समर्पित थाना संचालित हो रहा है। जबकि पड़ोसी झारखंड में ऐसे 24 और छत्तीसगढ़ में 27 विशेष थाने मौजूद हैं। वर्तमान में एसडीपीओ और डीएसपी स्तर के अधिकारी इन मामलों की जांच करते हैं, लेकिन कई जिम्मेदारियों के कारण अक्सर 60 दिनों की समय सीमा में जांच पूरी नहीं हो पाती, जिससे गवाह मुकर जाते हैं और बरी होने की दर बढ़ जाती है।
त्वरित कार्रवाई पर जोर
एचआरपीसी ने सुझाव दिया है कि निरीक्षक स्तर के अधिकारियों को गिरफ्तारी, जांच और विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने का अधिकार दिया जाए, ताकि न्याय प्रक्रिया तेज हो सके।
केंद्र से मिला अनुदान
इसी बीच, केंद्र प्रायोजित योजना के तहत ओडिशा को 2024–25 में 35.81 करोड़ रुपये मिले हैं, जिनका उपयोग अत्याचार रोकथाम और पीड़ितों को मुआवजा देने में किया जा रहा है।