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वन स्वीकृति प्रक्रिया में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए उच्चस्तरीय बैठक

  •       विकास और संरक्षण के बीच संतुलन साधने पर जोर, लंबित प्रस्तावों को निपटाने की कवायद तेज

भुवनेश्वर। राज्य में विकास परियोजनाओं के लिए आवश्यक वन स्वीकृति प्रस्तावों की प्रक्रिया में तेजी लाने और इसमें आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए आज एक उच्चस्तरीय समन्वय बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन) सत्यब्रत साहू ने की।

बैठक में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के मुरुगेशन (अतिरिक्त पीसीसीएफ, नोडल), एके कर (सीसीएफ, नोडल), लिंगराज ओटा (ओएसडी-कम-विशेष सचिव), भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के निदेशक जेपी महाकुड़, दक्षिण पूर्व रेलवे के मुख्य अभियंता (निर्माण) वीरेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के क्षेत्रीय अधिकारी सहित कई विभागीय प्रतिनिधि और परियोजना प्रवर्तक शामिल हुए।

पर्यावरणीय मानकों से कोई समझौता नहीं

अतिरिक्त मुख्य सचिव साहू ने बैठक में स्पष्ट किया कि विकास कार्यों में तेजी लाने के साथ-साथ पर्यावरणीय मानकों से कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षकों (आरसीसीएफ), प्रभागीय वन अधिकारियों (डीएफओ) और फील्ड स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे संभावित अड़चनों की पहचान समय रहते करें और उन्हें विभाग के साथ साझा करें, ताकि परियोजनाएं अनावश्यक रूप से अटकी न रहें।

उन्होंने कहा कि वन अधिकार कानून (एफआरए) के तहत अधिकारों का निपटारा, क्षतिपूरक वनीकरण की शर्तें और वन भूमि का सटीक सीमांकन जैसे मुद्दे अक्सर स्वीकृति में देरी का कारण बनते हैं। इन समस्याओं को सुलझाने के लिए जीआईएस आधारित मैपिंग, प्रस्तावों की डिजिटल मॉनिटरिंग और विभागों के बीच समयबद्ध परामर्श जैसे तकनीकी उपायों को अपनाने पर बल दिया गया।

समर्पित नोडल अधिकारियों की होगी नियुक्त

साहू ने यह भी घोषणा की कि हर महीने की 12 तारीख को लंबित परियोजनाओं की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय बैठक आयोजित होगी। उन्होंने कहा कि इन बैठकों को नियमित रूप से वे स्वयं और मुख्य सचिव मनोज आहुजा की अध्यक्षता में आयोजित किया जाएगा। साथ ही प्रत्येक प्रस्ताव की समयबद्ध प्रक्रिया के लिए समर्पित नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा।

भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की सात खोजी ड्रिलिंग परियोजनाओं पर चर्चा

बैठक में विशेष रूप से भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की सात खोजी ड्रिलिंग परियोजनाओं पर चर्चा हुई। इनमें सिमिलिपाल उत्तर वन प्रभाग, केंदुझर वन प्रभाग और कटक वन प्रभाग में विभिन्न धातुओं जैसे कॉपर, निकल, मैंगनीज, आयरन, टाइटेनियम व अन्य खनिजों की खोज के प्रस्ताव शामिल थे।

रेलवे की दो बड़ी परियोजनाओं पर भी विचार

इसके अलावा दक्षिण पूर्व रेलवे की दो बड़ी परियोजनाओं पर भी विचार किया गया। इनमें झारसुगुड़ा रेल यार्ड से संबंधित डबल लाइन फ्लाईओवर और बरपाली-सरडेगा सेक्शन के कोल लोडिंग कार्य के लिए वन भूमि उपयोग प्रस्ताव शामिल थे।

बैठक में राजधानी क्षेत्र की रिंग रोड परियोजना (रामेश्वर से गोविंदपुर और गोविंदपुर से टांगी तक) और नेयवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन के ऐशडाइक प्रोजेक्ट के लिए वन स्वीकृति मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

इस समन्वय बैठक में राउरकेला, अनुगूल, संबलपुर के आरसीसीएफ और राउरकेला, राईरंगपुर, बारिपदा, कटक, सुंदरगढ़, झारसुगुड़ा, केंदुझर और बोणई के डीएफओ वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए और वन स्वीकृति संबंधी मुद्दों पर सीधे एसीएस साहू से बातचीत की।

बैठक के अंत में यह निर्णय लिया गया कि तेजी और पारदर्शिता के साथ वन स्वीकृतियों को निपटाकर राज्य की आधारभूत संरचना और औद्योगिक परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा, साथ ही स्थानीय समुदायों के हित और पर्यावरणीय संतुलन की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

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