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भुवनेश्वर में लाभार्थियों के पास 1.5 लाख भी नहीं
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देश के महंगे शहरों में से एक राजधानी की यह हालत, तो गांवों का क्या होगा?
भुवनेश्वर। राजधानी भुवनेश्वर, जो देश के महंगे शहरों में शुमार है, वहां की माली हकीकत ने सरकार की किफायती आवास योजनाओं को कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 के तहत केंद्र और राज्य 40-40 प्रतिशत योगदान दे रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद लाभार्थी अपना 20 प्रतिशत हिस्सा महज 1.5 लाख रुपये भी नहीं जुटा पा रहे। हालात ऐसे हैं कि भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) को अब निजी बैंकों से हाथ मिलाकर लाभार्थियों को कर्ज दिलाने की व्यवस्था करनी पड़ी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर देश के महंगे शहरों में से एक भुवनेश्वर में लोग इतनी छोटी रकम का इंतजाम नहीं कर पा रहे, तो राज्यों के छोटे शहरों और गांवों की हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। यह स्थिति सीधे तौर पर आम लोगों की कमजोर होती आर्थिक सेहत को उजागर करती है।
पायलट प्रोजेक्ट से राहत की कोशिश
बीएमसी और निजी बैंक के बीच हुए समझौते के तहत पहले चरण में 600 लाभार्थियों को ऋण सहायता दी जाएगी। ये वे लोग हैं जिन्हें पहले ही घर आवंटित हो चुके हैं लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से योजना का लाभ नहीं उठा पाए, क्योंकि उनके पास अपने हिस्से की राशि 1.5 लाख नहीं थी और ना ही वे जुटा पाए हैं। इसे देखते हुए बैंक अधिकारियों, ठेकेदारों और विभागीय प्रतिनिधियों के साथ हाल में हुई एक बैठक में ऋण प्रक्रिया को आसान बनाने और परिवारों को बैंकिंग औपचारिकताओं में मदद देने पर सहमति बनी है।
आवास वितरण तेज करने की कवायद
राज्य सरकार ने पिछले महीने ही साफ किया था कि भुवनेश्वर में कई परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। इनका क्रियान्वयन भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण और ओडिशा राज्य आवास बोर्ड कर रहे हैं। लॉटरी प्रणाली के आधार पर आवंटन किया जा रहा है और आगे चलकर इस योजना को अन्य शहरी केंद्रों तक बढ़ाने की तैयारी है। परियोजनाओं का क्रियान्वयन भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण और ओडिशा राज्य आवास बोर्ड द्वारा किया जा रहा है और लॉटरी-आधारित चयन प्रणाली के माध्यम से आवंटन किया जा रहा है। आवास एवं शहरी विकास विभाग ने संकेत दिया है कि बाद में इस योजना का विस्तार भीड़भाड़ और बढ़ती संपत्ति लागत का सामना कर रहे अन्य शहरी केंद्रों में भी किया जाएगा।
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