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सिखाए आपदा से निपटने के गुर
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अस्पताल की तैयारी पर छह दिवसीय क्षमता निर्माण प्रशिक्षण का आयोजन
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आपदाओं के दौरान प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने और निर्बाध स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने में मिलेगी मदद
भुवनेश्वर। एम्स भुवनेश्वर ने भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के सहयोग से स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए अस्पताल की तैयारी पर छह दिवसीय क्षमता निर्माण प्रशिक्षण का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह कार्यक्रम अस्पतालों को आपदाओं के दौरान प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने और निर्बाध स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया था।
इस प्रशिक्षण में ओडिशा, मेघालय, पश्चिम बंगाल और असम के वरिष्ठ स्वास्थ्य पेशेवरों ने भाग लिया। प्रतिभागियों में परामर्शदाता, जिला चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधीक्षक, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, अस्पताल प्रशासक और प्रबंधक शामिल थे।
इस पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एम्स भुवनेश्वर के निदेशक, प्रो डॉ आशुतोष विश्वास ने कहा कि आपदाओं के दौरान अस्पताल जीवन रेखा होते हैं। उनकी तैयारियों और निरंतरता योजनाओं को मजबूत करने से यह सुनिश्चित होता है कि लोगों तक जरूरी देखभाल तब पहुंचे जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो। यह कार्यक्रम देश में आपदा-रोधी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के निर्माण की दिशा में एक कदम था।
उद्घाटन समारोह में निदेशक और सीईओ डॉ आशुतोष विश्वास, चिकित्सा अधीक्षक डॉ दिलीप कुमार परिडा, डीडीए लेफ्टिनेंट कर्नल अभिजीत सरकार, नोडल अधिकारी डॉ जयंत कुमार मित्रा की गरिमामयी उपस्थिति रही।
प्रशिक्षण में कई व्यापक मॉड्यूल शामिल थे, जिनमें शामिल हैं अस्पताल आपदा प्रबंधन सिद्धांत, अस्पताल आपातकालीन घटना प्रतिक्रिया प्रणाली, आपदा प्रबंधन अधिनियम, ट्राइएजिंग, लॉजिस्टिक्स, संचार, अग्नि सुरक्षा, मॉक ड्रिल, मनोसामाजिक देखभाल, अस्पताल से निकासी, सेवाओं की निरंतरता और सामान्य स्थिति में वापसी। प्रतिभागियों ने व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने के लिए भुवनेश्वर स्थित ओडिशा आपदा त्वरित कार्रवाई बल (ओडीआरएएफ) बेस का एक क्षेत्रीय दौरा भी किया।
कार्यक्रम के संसाधन व्यक्ति एम्स भुवनेश्वर के संकाय सदस्य थे, जिन्हें स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए राष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में प्रशिक्षित किया गया था।
यह पहली बार है जब एम्स भुवनेश्वर ने इस कार्यक्रम को लागू किया और यह पूरे भारत में अस्पताल आपदा तैयारी को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय पहल के तहत चौथा प्रशिक्षण कार्यक्रम था।