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ओडिशा में नई राजनीतिक पार्टी की सुगबुगाहट

  •     बीजद के कुछ पूर्व वरिष्ठ नेताओं की गतिविधियों ने संभावनाओं को दी हवा

  •     दिल्ली में हुई बैठकों से बढ़ी अटकलें

भुवनेश्वर। भाजपा, बीजद और कांग्रेस से परे ओडिशा की राजनीति में नए समीकरण बनने की चर्चा तेज हो गई है। हाल के दिनों में बीजद के कुछ पूर्व वरिष्ठ नेताओं की गतिविधियों ने नए राजनीतिक विकल्प की संभावनाओं को हवा दी है। इनमें दिल्ली दौरा और राजनीतिक हस्तियों से मुलाकात ने अटकलों को और गहरा दिया है।

पूर्व बीजद नेता अमर सतपथी ने खुद दिल्ली यात्रा और वहां हुई राजनीतिक चर्चाओं की पुष्टि की है। हालांकि उन्होंने कहा कि नई पार्टी बनाने का समय अभी नहीं आया है, लेकिन इस संभावना से इनकार भी नहीं किया। उनके साथ पूर्व सांसद प्रभात त्रिपाठी समेत कुछ अन्य नेताओं की मौजूदगी ने इन अटकलों को और बल दिया है।

राजनीतिक बयानबाजी हुई तेज

इस घटनाक्रम को लेकर सभी प्रमुख दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। बीजद नेता ध्रुव साहू ने तंज कसते हुए कहा कि सैकड़ों जीरो मिलकर भी एक नहीं बन सकते। जब कोई सिर नहीं होगा तो सिरदर्द भी नहीं होगा।

कांग्रेस नेता तारा प्रसाद वाहिनीपति ने कहा कि जनता मुद्दा आधारित राजनीति में कांग्रेस को स्वीकार करती है। तीसरे मोर्चे या नई पार्टी को कोई समर्थन नहीं मिलेगा। यह बीजद की बी टीम जैसी दिखती है।

भाजपा नेता जय नारायण मिश्र ने टिप्पणी की है कि पहले भी कई मोर्चे बने और विफल हुए। इस बार भी कोई सफलता नहीं मिलेगी।

बीजद में असंतोष और संगठनात्मक कमजोरी

2024 के चुनावी झटके के बाद बीजद में आंतरिक कलह और असंतोष बढ़ रहा है। कार्यकर्ता लगातार असंतुष्टि जताकर इस्तीफे दे रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि जमीनी स्तर पर संगठन कमजोर हो रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नवीन बाबू ने बीजद का गठन नहीं किया था, बल्कि बीजद पहले बना और उसके बाद उन्हें नेतृत्व सौंपा गया। आज स्थिति यह है कि जनता में बीजद को लेकर कोई सपना नहीं है और पार्टी के भीतर भी भविष्य को लेकर विश्वास की कमी है। ऐसे में नए राजनीतिक दल की जरूरत महसूस हो रही है।

नए मोर्चे की ओर संकेत

बीजद से निष्कासित पूर्व विधायक सौम्य रंजन पटनायक ने हाल ही में संकेत दिया कि ओडिशा में नया मोर्चा बन सकता है। उनके इस बयान और पूर्व नेताओं की गतिविधियों ने अटकलों को और तेज कर दिया है। अब निगाहें इस पर हैं कि यह नया राजनीतिक गठजोड़ कब और कैसे आकार लेता है।

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