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पुराने सरंचना का अपग्रेडशन पड़ रहा है भारी
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छोटे दुकानदारों में भी मचा हाहाकार
भुवनेश्वर। भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) की हालिया कार्रवाई ने शहरवासियों और छोटे व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। दशकों बाद जरूरत के अनुसार पुराने ढांचे में किए गए मामूली परिवर्तन पर भी अब नागरिकों पर अतिरिक्त करों का बोझ लादा जा रहा है और जुर्माना ठोंका जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि निगम अधिकारी सर्वे के नाम पर घर-घर पहुंच रहे हैं और कर बढ़ाकर नोटिस थमा रहे हैं। छोटे दुकानदारों का आरोप है कि ट्रेड लाइसेंस के नाम पर सीधी उगाही की जा रही है। उनका कहना है कि कारोबार चलाना ही मुश्किल हो गया है, ऊपर से अचानक बढ़े कर और लाइसेंस का दबाव उनकी रोजी-रोटी पर हमला है। दुकानदारों का कहना है कि आज मल्टी टास्किंग की बात कही जा रही है, लेकिन दुकानों में मल्टी प्रोडक्ट रखना गुनाह लग रहा है। इस पर मनमानी ट्रेड लाइसेंस के नाम पर कर थोपा जा रहा है।
कार्रवाई पर चढ़ा राजनीतिक रंग
राज्य में सरकार बदलने के बाद यह कार्रवाई राजनीतिक रंग पकड़ चुकी है। लोगों का आरोप है कि बीजद की मेयर जनता पर करों का बोझ डालकर जानबूझकर सरकार विरोधी माहौल बनाने की साजिश कर रही हैं।
दशकों बाद घरों का अपग्रेडेशन पड़ रहा महंगा
लोगों का कहना है कि दशकों बाद घरों में जरूरतें बढ़ती हैं। जमीन हमारी है और अब हम इसमें जरूरत के हिसाब से सुविधाएं नहीं जोड़ सकते हैं। यदि घर के सामने के दुकानें बना दी है, तो उसके लिए भी कर। अब निगम उस पर शिकंजा कस रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या विकास करना अब अपराध हो गया है? सुविधाओं के नाम पर कर थोपा जाएगा, तो लोग कहां से भरेंगे।
कार्रवाई को लेकर गुस्सा
शहर में इस कार्रवाई को लेकर गुस्सा साफ झलक रहा है। आम लोग से लेकर व्यापारी वर्ग तक एक सुर में कह रहे हैं कि निगम की यह मनमानी बर्दाश्त से बाहर है। अब नजरें सरकार पर टिकी हैं कि वह इस बढ़ते जनाक्रोश को शांत करने के लिए क्या कदम उठाती है।
जलापूर्ति पर कर का विरोध
भुवनेश्वर में जलापूर्ति पर लगाए गए टैक्स को लेकर लोगों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। गर्मी के मौसम में जहां सरकार और सामाजिक संगठन जगह-जगह जलछत्र लगाकर आम लोगों को राहत पहुंचाने का प्रयास करते हैं, वहीं भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) द्वारा जलापूर्ति पर टैक्स वसूला जाना लोगों को खटक रहा है। नागरिकों का कहना है कि यह टैक्स जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने जैसा है, खासकर तब जब शहर के कई इलाकों में नियमित और शुद्ध पेयजल की आपूर्ति भी सुनिश्चित नहीं हो पा रही है।
मुफ्त जलछत्र लगाने वाले शहर में कर उपहास
लोगों ने सवाल उठाया है कि जब सरकार खुद गर्मियों में जलछत्र और प्याऊ लगवाकर मुफ्त में पानी उपलब्ध कराती है, तो फिर नगर निगम द्वारा जलापूर्ति के नाम पर टैक्स वसूलना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। इस फैसले का विभिन्न सामाजिक संगठनों और आम जनता ने विरोध किया है और बीएमसी से इसे वापस लेने की मांग की है। लोगों का कहना है कि नगर निगम को टैक्स वसूली के बजाय जलापूर्ति व्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि नागरिकों को हर मौसम में साफ और पर्याप्त पानी मिल सके। हालांकि इस मामले में बीएमसी की प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी थी।