भुवनेश्वर। भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने हर चुनौती को पार कर जननेता के रूप में खुद को स्थापित किया है। यह बात केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को नई दिल्ली में लेखक आदर्श त्रिपाठी द्वारा लिखित अंग्रेजी पुस्तक “द पब्लिक प्रेसिडेंट” के विमोचन अवसर पर कही।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू प्रोटोकॉल से ऊपर उठकर आम लोगों से जुड़ती हैं। वे भारत के लोकतंत्र की सच्ची प्रतिनिधि हैं और एक “पीपुल्स लीडर ” के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। धर्मेन्द्र प्रधान ने राष्ट्रपति के जीवन संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि एक समय था जब जनजातीय समाज के छात्रों को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर भुवनेश्वर में शिक्षा प्राप्त करना अत्यंत कठिन था। उस दौर में श्रीमती मुर्मू ने न केवल यह प्रमाण पत्र हासिल किया, बल्कि अपने गाँव के बुजुर्गों से अनुमति लेकर उच्च शिक्षा के लिए भुवनेश्वर आईं और बाद में वर्ष 2000 में ओडिशा विधानसभा की सदस्य बनीं। उनका व्यवहार और व्यक्तित्व उच्च कोटि का रहा है।
इस अवसर पर मंत्री प्रधान ने युवा लेखक आदर्श त्रिपाठी की सराहना करते हुए कहा कि इतनी कम उम्र में इस प्रकार की पुस्तक लिखना प्रशंसनीय है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 2036 में ओडिशा भाषा आधारित राज्य के गठन के 100 वर्ष पूरे होंगे, और आदर्श जैसे युवा लेखक पहले से ही उस इतिहास को संजोने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
कार्यक्रम में उन्होंने ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान की बात करते हुए कहा कि महाप्रभु श्रीजगन्नाथ सदैव ओड़ियाओं की पहचान रहे हैं, और आज जब ओडिशा की बेटी राष्ट्रपति पद पर आसीन हैं, तब पूरे देश में राज्य की एक नई पहचान बनी है।
इसी दिन नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में श्री प्रधान की अध्यक्षता में नवगठित राष्ट्रीय पुस्तक प्रोत्साहन परिषद की पहली बैठक भी संपन्न हुई। उन्होंने कहा कि यह परिषद पाठ संस्कृति को बढ़ावा देने, पुस्तक और शैक्षणिक सामग्री की गुणवत्ता में सुधार लाने, तथा देश के हर कोने में पुस्तकों की सुलभता और उपलब्धता बढ़ाने के लिए अहम भूमिका निभाएगी।
श्री प्रधान ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक प्रोत्साहन नीति का उद्देश्य भारत में पुस्तक एवं पुस्तकालय आंदोलन को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने टेक्नोलॉजी को अपनाने और समन्वित प्रयासों से पुस्तकों के प्रति रुचि और अध्ययन संस्कृति को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में लेखक आदर्श त्रिपाठी, साई इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप की अध्यक्ष डॉ. शिल्पी साहू, लोकसभा सांसद भर्तृहरि महताब समेत अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू प्रोटोकॉल से ऊपर उठकर आम लोगों से जुड़ती हैं। वे भारत के लोकतंत्र की सच्ची प्रतिनिधि हैं और एक “पीपुल्स लीडर ” के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। धर्मेन्द्र प्रधान ने राष्ट्रपति के जीवन संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि एक समय था जब जनजातीय समाज के छात्रों को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर भुवनेश्वर में शिक्षा प्राप्त करना अत्यंत कठिन था। उस दौर में श्रीमती मुर्मू ने न केवल यह प्रमाण पत्र हासिल किया, बल्कि अपने गाँव के बुजुर्गों से अनुमति लेकर उच्च शिक्षा के लिए भुवनेश्वर आईं और बाद में वर्ष 2000 में ओडिशा विधानसभा की सदस्य बनीं। उनका व्यवहार और व्यक्तित्व उच्च कोटि का रहा है।
इस अवसर पर मंत्री प्रधान ने युवा लेखक आदर्श त्रिपाठी की सराहना करते हुए कहा कि इतनी कम उम्र में इस प्रकार की पुस्तक लिखना प्रशंसनीय है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 2036 में ओडिशा भाषा आधारित राज्य के गठन के 100 वर्ष पूरे होंगे, और आदर्श जैसे युवा लेखक पहले से ही उस इतिहास को संजोने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
कार्यक्रम में उन्होंने ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान की बात करते हुए कहा कि महाप्रभु श्रीजगन्नाथ सदैव ओड़ियाओं की पहचान रहे हैं, और आज जब ओडिशा की बेटी राष्ट्रपति पद पर आसीन हैं, तब पूरे देश में राज्य की एक नई पहचान बनी है।
इसी दिन नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में श्री प्रधान की अध्यक्षता में नवगठित राष्ट्रीय पुस्तक प्रोत्साहन परिषद की पहली बैठक भी संपन्न हुई। उन्होंने कहा कि यह परिषद पाठ संस्कृति को बढ़ावा देने, पुस्तक और शैक्षणिक सामग्री की गुणवत्ता में सुधार लाने, तथा देश के हर कोने में पुस्तकों की सुलभता और उपलब्धता बढ़ाने के लिए अहम भूमिका निभाएगी।
श्री प्रधान ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक प्रोत्साहन नीति का उद्देश्य भारत में पुस्तक एवं पुस्तकालय आंदोलन को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने टेक्नोलॉजी को अपनाने और समन्वित प्रयासों से पुस्तकों के प्रति रुचि और अध्ययन संस्कृति को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में लेखक आदर्श त्रिपाठी, साई इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप की अध्यक्ष डॉ. शिल्पी साहू, लोकसभा सांसद भर्तृहरि महताब समेत अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।