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हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर
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जांच की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग
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पीड़िता की मौत के बाद गहराया है मामला
भुवनेश्वर। बालेश्वर के प्रसिद्ध फकीर मोहन (एफएम) ऑटोनॉमस कॉलेज की एक छात्रा की आत्मदाह के बाद हुई मौत को लेकर मामला अब ओडिशा हाईकोर्ट पहुंच गया है। इसमें एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के माध्यम से न्यायिक निगरानी में जांच की मांग की गई है।
यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता शिव शंकर मोहंती द्वारा दाखिल की गई है, जिन्होंने मामले की अब तक की जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने की अपील की है ताकि जांच में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
कॉलेज प्रशासन के रवैये पर उठे सवाल
वहीं, राज्य सरकार ने पहले ही इस संवेदनशील मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी है, जो पिछले सप्ताह से जांच में जुटी है। सोमवार को क्राइम ब्रांच की दो सदस्यीय टीम लगातार पांचवें दिन एफएम कॉलेज पहुंची और वहां के शिक्षकों और कर्मचारियों, जिनमें कार्यवाहक प्राचार्य भी शामिल हैं, से पूछताछ की।
कॉलेज प्रशासन को शिकायत पर गंभीरता नहीं दिखाई
सूत्रों के मुताबिक, मृतका ने आत्मदाह से पहले कॉलेज प्रशासन को एक लिखित शिकायत दी थी, लेकिन कॉलेज की आंतरिक जांच में उस पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। अब इस शिकायत और प्रशासन की भूमिका की भी गहराई से जांच की जा रही है।
90% जल चुकी थी छात्रा
12 जुलाई को एफएम कॉलेज की शिक्षा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर समीर साहू पर लंबे समय से मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए छात्रा ने कॉलेज परिसर में ही प्राचार्य कक्ष के बाहर खुद को आग के हवाले कर दिया था। छात्रा 90% से अधिक जल चुकी थी और उसे तत्काल भुवनेश्वर स्थित एम्स में भर्ती कराया गया, जहां 15 जुलाई की देर रात उसे मृत घोषित कर दिया गया।
राजनीतिक भूचाल और छात्र सुरक्षा पर गहराया संकट
इस घटना के बाद राज्य भर में छात्र सुरक्षा, कॉलेज प्रशासन की निष्क्रियता और शैक्षणिक संस्थानों में जवाबदेही को लेकर जबरदस्त आक्रोश देखा गया। विपक्षी दल बीजद और कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलते हुए आंदोलन छेड़ दिया। 17 जुलाई को कांग्रेस और उसके सहयोगी संगठनों ने राज्यव्यापी ओडिशा बंद बुलाया, जिसमें सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए।
छात्राओं को सुरक्षित वातावरण और जवाबदेह प्रशासन की मांग
इस दुखद घटना ने पूरे राज्य में शिक्षा संस्थानों की जिम्मेदारियों पर नई बहस को जन्म दे दिया है। छात्रों और अभिभावकों के बीच यह मांग तेज हो गई है कि कॉलेजों में छात्रों विशेषकर छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और प्रशासन को जवाबदेह बनाया जाए। अब सबकी निगाहें ओडिशा हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां से न्याय की दिशा तय होने की उम्मीद की जा रही है।