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बारिश से बेहाल ओडिशा, अस्पतालों में भी घुसा पानी

  • सड़कें टूटीं, बांधों से बाढ़ का प्रबंधन शुरू

  • राज्य भर में जनजीवन अस्त-व्यस्त

  • लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने राज्य की आपात सेवाओं, ग्रामीण जनजीवन और प्रशासनिक तंत्र को संकट में डाला

  • हीराकुद और रेंगाली बांधों से पानी छोड़ने की प्रक्रिया शुरू

भुवनेश्वर/सुंदरगढ़/झारसुगुड़ा। ओडिशा में सक्रिय मानसून का कहर अब भयावह रूप ले चुका है। पिछले कुछ दिनों से राज्य के कई जिलों में हो रही भारी बारिश ने न सिर्फ जनजीवन को ठप कर दिया है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं, सड़क संपर्क, प्रशासनिक ढांचे और जल निकासी व्यवस्था की भी पोल खोल दी है। हालात यह हैं कि अस्पतालों में पानी भर गया है, बाढ़ का पानी घरों में घुस गया है और ग्रामीण इलाकों का संपर्क मुख्यालयों से टूट गया है।

राज्य की दो प्रमुख नदियों महानदी और ब्राह्मणी पर बने हीराकुद और रेंगाली जैसे बड़े बांधों से भी नियंत्रित तरीके से बाढ़ का पानी छोड़ा जा रहा है ताकि निचले इलाकों को बचाया जा सके। हालांकि, अभी तक किसी बड़े बाढ़ संकट की स्थिति नहीं बनी है, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है।

बोणई क्षेत्र में आपात सेवाएं ठप, अस्पताल जलमग्न

सुंदरगढ़ जिले के बोणई अनुमंडल के गुरुंडिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हालात बेहद खराब हो चुके हैं। लगातार बारिश के चलते अस्पताल की इमारत में टखनों तक पानी भर गया है। वार्ड, गलियारे और बाह्य रोगी विभाग जलमग्न हो गए हैं। मरीजों और चिकित्सा कर्मियों को अस्थायी ढांचे में काम करना पड़ रहा है।

आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह से बाधित हैं। अग्निशमन विभाग की टीम ने जलनिकासी का प्रयास शुरू किया है, लेकिन भारी जलभराव के कारण संक्रमण और दुर्गंध फैलने का खतरा बढ़ गया है।

सिर्फ अस्पताल ही नहीं, बल्कि ब्लॉक कार्यालय परिसर में स्थित सरकारी आवास भी जलमग्न हो गए हैं। यहां रहने वाले अधिकारियों को मजबूरी में घर खाली करने पड़े हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है। हर साल बारिश आते ही जलजमाव की यह स्थिति बन जाती है, लेकिन कभी भी इसकी स्थायी रोकथाम नहीं की गई। इस बार स्थिति और भी गंभीर है।

झारसुगुड़ा में बाढ़ जैसे हालात

झारसुगुड़ा जिले के लैकिरा पंचायत में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। हाटिया नदी का पानी गांवों में घुस गया है। रेंगलबेड़ा और अग्रिया पाड़ा जैसे गांवों में घरों के भीतर घुटनों तक पानी भर गया है। कई घरों के दरवाजे टूट चुके हैं और ग्रामीण बेहद कठिनाई में हैं।

रेंगलबेड़ा गांव में मुख्य सड़क पर लगभग 2.5 फीट पानी बह रहा है, जिससे गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। खाद्य सामग्री, पीने का पानी और चिकित्सा सेवा तक पहुंचना लोगों के लिए असंभव हो गया है। डर के मारे कई परिवार गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए हैं।

केंदुझर में टूटा अस्थायी सड़क संपर्क, जीवन ठहर सा गया

केंदुझर जिले के तेलकोई ब्लॉक में बंसराजुरिया नाले पर बना अस्थायी पुल तेज बहाव में बह गया। यह पुल जगमोहनपुर और तेलकोई के बीच की मुख्य कड़ी था। इसके टूटने से ग्रामीणों का ब्लॉक मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह कट गया है।

पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए गए अस्थायी बायपास की जगह अब केवल हल्के वाहन ही चामुंडा गांव की संकरी सड़क से जा पा रहे हैं, लेकिन भारी वाहनों का परिचालन ठप है। इससे दवा, राशन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी बाधित हो गई है।

स्थानीय व्यापारियों और किसानों ने बताया कि उनकी उपज अब बाजार तक नहीं पहुंच पा रही है, जिससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है।

हीराकुद बांध के 7 फाटक खुले

राज्य का सबसे बड़ा हीराकुद बांध, जो महानदी नदी पर स्थित है, से रविवार को मानसून के पहले बाढ़ जल का निष्कासन शुरू किया गया। विशेष पूजा-अनुष्ठान के बाद सुबह 10 बजे बांध के बांए स्लूस गेट क्रमांक 7 को खोला गया।

हीराकुद बांध न सिर्फ ओडिशा, बल्कि एशिया का सबसे लंबा मिट्टी का बांध है, जिसकी लंबाई लगभग 25.8 किलोमीटर है। इसका निर्माण 1948 में शुरू हुआ था और 1957 में पूर्ण हुआ। यह बांध हर साल मानसून के दौरान बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और विद्युत उत्पादन के लिए अहम भूमिका निभाता है।

इस वर्ष जलस्तर फिलहाल 609 फीट है, जो सुरक्षित सीमा में है। लेकिन छत्तीसगढ़ और पश्चिमी ओडिशा में भारी बारिश को देखते हुए और 11 फाटक खोले जाने की योजना है।

रेंगाली बांध से भी जलप्रवाह शुरू, पांच जिलों को सतर्क किया गया

रेंगाली बांध से शनिवार को सीजन का पहला बाढ़ जल छोड़ा गया। यहां जलस्तर 121 मीटर पहुंच चुका है। अधिकारियों ने ढेंकानाल, कटक, जाजपुर, केंद्रपाड़ा और अंगुल जिलों को अलर्ट कर दिया है। इन जिलों के कलेक्टरों को सूचित कर दिया गया है और निचले इलाकों में सायरन और सार्वजनिक घोषणाएं की गई हैं।

बांध अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन पानी की आवक बढ़ने पर और भी फाटक खोले जा सकते हैं।

राज्यभर में मौसम विभाग का चेतावनी अलर्ट जारी

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून ओडिशा में पूरी तरह से सक्रिय है। केंदुझर और मयूरभंज जिलों में अति भारी वर्षा की चेतावनी के साथ ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।

इसके अलावा 17 अन्य जिलों में मध्यम से भारी वर्षा, बिजली गिरने और तेज हवाओं की संभावना को लेकर येलो अलर्ट जारी है। इन जिलों में निम्न इलाकों में जलजमाव और छोटे पुलों पर जल बहाव के कारण आवाजाही बाधित हो सकती है।

आईएमडी ने यह भी बताया है कि गंगीय पश्चिम बंगाल और उससे सटे क्षेत्रों में एक नया निम्न दबाव तंत्र बनने की संभावना है, जिससे आगामी दिनों में ओडिशा में और अधिक बारिश हो सकती है।

भारी बारिश के सामने नाजुक होता तंत्र

ओडिशा के कई जिले फिलहाल मानसून की भारी मार झेल रहे हैं। एक ओर जहां बाढ़ और जलभराव ने ग्रामीण क्षेत्रों को चारों ओर से घेर लिया है, वहीं दूसरी ओर सरकारी तंत्र की तैयारी और संसाधनों की कमी भी उजागर हो रही है। अस्पतालों में पानी भरना, सड़क संपर्क टूटना, राहत शिविरों का अभाव और आम जनजीवन का ठहर जाना – यह सब मिलकर प्रशासनिक और सामाजिक तंत्र की चुनौती को रेखांकित करता है।

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