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भीतरूनी असंतोष के बीच 11 को भुवनेश्वर आ रहे राहुल गांधी

  •  बरमुंडा हाई स्कूल मैदान में एक बड़ी जनसभा को करेंगे  संबोधित

  •  एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव केसी वेणुगोपाल भी राजधानी में होंगे

  •  जिलास्तरीय विवाद बन सकता है कार्यक्रम में विघ्न

भुवनेश्वर। ओडिशा कांग्रेस के लिए 11 जुलाई एक अहम दिन साबित हो सकता है। इस दिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ राजधानी भुवनेश्वर के बरमुंडा हाई स्कूल मैदान में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे। यह पहली बार है जब 2024 के आम चुनाव के बाद पार्टी हाईकमान ने राज्य में पुनर्जीवन के स्पष्ट संकेत दिए हैं।

हालांकि, इस हाई-प्रोफाइल दौरे से पहले पार्टी के भीतर असंतोष और उथल-पुथल के बादल मंडरा रहे हैं। विवाद की जड़ में हैं ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओपीसीसी) अध्यक्ष भक्त दास, जिनके हालिया ‘अचानक’ फैसले जिलास्तरीय नेतृत्व को लेकर गहरी नाराजगी पैदा कर चुके हैं।

 ‘अस्थायी अध्यक्ष’ से ‘जिला समन्वयक’ तक: असंतोष की शुरुआत

पिछले दिनों भक्त दास ने राज्य के 35 सांगठनिक जिलों में अस्थायी जिला अध्यक्षों की घोषणा की थी। परंतु कुछ ही दिन बाद एक और निर्देश जारी कर इन नियुक्तियों को बदल दिया गया और उन अस्थायी अध्यक्षों को केवल “जिला समन्वयक” की भूमिका तक सीमित कर दिया गया। यह अप्रत्याशित पलटाव न केवल कार्यकर्ताओं बल्कि वरिष्ठ नेताओं को भी असमंजस में डाल गया।

सूत्रों के अनुसार, यह फैसला एआईसीसी के दबाव और गुजरात मॉडल को अपनाने की योजना के तहत लिया गया। भक्त दास ने बयान दिया था कि जैसे गुजरात को प्राथमिकता दी जा रही है, ओडिशा को भी उसी तरह प्राथमिकता दी जा रही है। जिलाध्यक्षों का चयन पूरी तरह लोकतांत्रिक प्रक्रिया से किया जाएगा, जो जुलाई से शुरू होकर एक माह में पूर्ण होगा।

भीतरूनी खींचतान और तालमेल की कमी

पार्टी के भीतर कई वरिष्ठ नेता मानते हैं कि भक्त दास ने यह निर्णय एआईसीसी से समन्वय के बिना ही ले लिया, जिससे संगठन के भीतर असंतुलन पैदा हो गया। पूर्व पीसीसी अध्यक्ष जयदेव जेना पहले से ही गुजरात मॉडल के समर्थक रहे हैं और उन्होंने भी एआईसीसी और पीसीसी के बीच समन्वय की कमी की ओर संकेत किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरा घटनाक्रम कांग्रेस की नेतृत्व-व्यवस्था में गहरे मतभेद और संप्रेषण की कमी को उजागर करता है।

राहुल गांधी की यात्रा से उत्साह

हालांकि प्रदेश कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी के दौरे को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन जिन नेताओं को कुछ दिन पहले जिलाध्यक्ष घोषित किया गया था, वे अब खुद को अपमानित और हतोत्साहित महसूस कर रहे हैं। यह मनोभाव जनसभा की ऊर्जा और एकता को प्रभावित कर सकता है। पार्टी के जिला स्तरीय नेताओं ने हालांकि सार्वजनिक रूप से संयम बनाए रखा है और कहा है कि वे एआईसीसी के किसी भी निर्णय का सम्मान करेंगे।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, भक्त दास के छह महीने के कार्यकाल में ज़मीनी संगठन को मजबूत करने में विफलता ने इस अचानक बदलाव को जन्म दिया है। अब सबकी निगाहें राहुल गांधी की यात्रा पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि राहुल गांधी की यात्रा निश्चित रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार कर सकती है।

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