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ओडिशा में सुवर्णरेखा का जलस्तर घटा

  •  बालेश्वर के भोगराई में हालात अब भी भयावह

  •  राजघाट में अब खतरे से नीचे पानी, लेकिन राहत दूर

बालेश्वर। ओडिशा की सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर धीरे-धीरे घट रहा है, लेकिन बालेश्वर जिले के भोगराई ब्लॉक के बाढ़ प्रभावित गांवों की त्रासदी अब भी कम नहीं हुई है। नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ चुका है, फिर भी 15 पंचायतों के 30 से अधिक गांव अभी भी पानी में घिरे हुए हैं और बाहरी दुनिया से कटे हुए हैं।

राजघाट में जहां जलस्तर का खतरे का निशान 10.36 मीटर है, वहीं गुरुवार सुबह 6 बजे तक पानी का स्तर घटकर 9.17 मीटर पर आ गया। हालांकि यह राहत की खबर लग सकती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भोगराई ब्लॉक के कई गांव अब भी बाढ़ के पानी में डूबे हैं।

फसलें बर्बाद, किसानों की उम्मीद टूटी
भोगराई के बड़ा मंडारुनी गांव में दूर-दूर तक फैले धान के खेत पूरी तरह जलमग्न हैं। एक स्थानीय किसान ने बताया कि हमारी सारी फसलें सड़ गई हैं, पौधे मर चुके हैं। जब पानी पूरी तरह हटेगा, तब हमें जमीन को दोबारा तैयार कर फिर से बोवाई करनी होगी। सबकुछ फिर से शुरू करना होगा।

कई पंचायतें पूरी तरह से अलग-थलग
कुसुड़ा, गबगा और मनुनगर जैसी पंचायतें अब भी पूरी तरह जलमग्न हैं। इन इलाकों से संपर्क करने वाले सभी रास्ते लगभग 4 फीट पानी में डूबे हुए हैं। ग्रामीण अब पारंपरिक नावों के सहारे एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने को मजबूर हैं।

राहत कार्य जारी, लेकिन चुनौतियां गहरी
सरकार की ओर से राहत और पुनर्वास कार्य जारी हैं, लेकिन बाढ़ से तबाह गांवों में हालात सामान्य होने में अभी लंबा समय लग सकता है। जलजमाव से घरों की हालत खराब हो गई है, रास्ते टूट चुके हैं और लोगों को बुनियादी जरूरतें पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

आईएमडी ने दी भारी बारिश की चेतावनी
इस बीच, भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने उत्तर ओडिशा के कई हिस्सों में आगामी दिनों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी है। यदि दोबारा बारिश होती है, तो पहले से परेशान इलाकों की स्थिति और बिगड़ सकती है।

ग्रामीणों में चिंता, प्रशासन अलर्ट पर
स्थानीय प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है और हालात पर करीबी नजर बनाए हुए है, लेकिन ग्रामीणों के चेहरों पर चिंता साफ झलक रही है। राहत की आस में दिन काट रहे ये लोग अब केवल यही दुआ कर रहे हैं कि बारिश रुके और जिंदगी पटरी पर लौटे।

फिलहाल, भोगराई के लोगों के लिए यह सिर्फ बाढ़ नहीं, बल्कि जिंदगी से जूझने की एक लंबी लड़ाई बन चुकी है।

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