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मुख्यमंत्री ने दिखाया सच्चाई का आईना
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आईसीआईसीआई, एक्सिस और एचडीएफसी बैंक के खराब प्रदर्शन पर जतायी नाराजगी
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मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने तीनों बैंकों की विस्तृत समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत की
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बैंकों ने दिए प्रदर्शन सुधार के आश्वासन
भुवनेश्वर। राज्य सरकार की सख्त कार्रवाई के बाद आज आईसीआईसीआई, एक्सिस और एचडीएफसी बैंक के वरिष्ठ प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के समक्ष दरबार लगाना पड़ा। लोक सेवा भवन में आयोजित इस उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने इन बैंकों की जनकल्याणकारी योजनाओं में कमजोर भागीदारी पर तीखी नाराजगी जताई और स्पष्ट किया कि गरीबों को ऋण से वंचित करने वाले बैंक अब राज्य सरकार की प्राथमिकता सूची में नहीं रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कृषि ऋण, पीएम रोजगार सृजन योजना, पीएम स्वनिधि, स्टैंड अप इंडिया, शिक्षा और गृह ऋण जैसी कई योजनाएं सक्रिय हैं, लेकिन इन तीन बैंकों की भागीदारी बेहद निराशाजनक रही है। उन्होंने याद दिलाया कि गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने और उनके जीवन में बदलाव लाने में बैंकों की भूमिका सबसे अहम होती है, लेकिन यह जिम्मेदारी इन बैंकों ने नहीं निभाई।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि 21 जून 2025 को राज्य सरकार ने इन बैंकों को अपनी एम्पैनल्ड सूची से बाहर कर दिया है। उन्होंने कहा कि जो बैंक गरीबों के विकास में भागीदार नहीं बन सकते, उन्हें राज्य की योजनाओं में स्थान नहीं मिल सकता।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव शाश्वत मिश्र ने तीनों बैंकों की विस्तृत समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें योजनाओं में इनकी न्यूनतम भागीदारी और ऋण वितरण में ढिलाई को उजागर किया गया। इस पर मुख्यमंत्री ने बैंकों से कहा कि वे गरीब लाभार्थियों को प्राथमिकता देकर ऋण प्रक्रिया को तेज करें।
मुख्यमंत्री की दो टूक बातों और वित्त सचिव की रिपोर्ट के बाद बैंक प्रतिनिधियों ने अपने प्रदर्शन में शीघ्र सुधार का आश्वासन दिया और कहा कि वे जनहित में ऋण वितरण प्रक्रिया को गति देंगे।
बैठक में शामिल प्रमुख बैंक प्रतिनिधियों में एक्सिस बैंक से एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुनीष सारदा, गवर्नमेंट बिजनेस कंट्री हेड अनिल अग्रवाल, ईस्ट रीजनल हेड सौरभ दत्ता, एचडीएफसी बैंक से कंट्री हेड स्मिता भगत, ईस्ट ब्रांच हेड संदीप कुमार, रीजनल हेड दीपक सिंह तथा आईसीआईसीआई बैंक से बिजनेस हेड सुमित मेहरोत्रा, ओडिशा सिटी बिजनेस हेड विनोद एल और रीजनल हेड अमिय नायक शामिल थे।
सरकार के इस स्पष्ट संदेश के बाद अब इन बैंकों के पास जनहित में कार्य करने और अपनी भूमिका निभाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। आने वाले दिनों में ये बैंक योजनाओं में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं या नहीं, इस पर राज्य सरकार की नजर बनी रहेगी।