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तीन प्रमुख कारणों से धीमी हुई रथ खींचने की प्रक्रिया
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मोड़ते समय फंसा था भगवान बलभद्र का ‘तालध्वज’ रथ
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प्रशासन ने दिए सुधार के संकेत
पुरी। पुरी में इस वर्ष की रथयात्रा के दौरान शुक्रवार को रथ खींचने की प्रक्रिया में अप्रत्याशित विलंब ने श्रद्धालुओं और प्रशासन के बीच चर्चा का विषय बना दिया है। शुक्रवार को भगवान बलभद्र के रथ को मोड़ते समय आई बाधा के कारण अन्य दो रथों की गति भी थम गई, जिससे पूरा आयोजन अस्थायी रूप से रुक गया।
बताया गया है कि सबसे बड़ा कारण रहा भगवान बलभद्र के ‘तालध्वज’ रथ को बड़दांड पर मोड़ते समय फंस जाना। रथ की दिशा मोड़ने में कठिनाई आने से यात्रा ठहर गयी। भारी लकड़ी के बने इस विशाल रथ को हजारों श्रद्धालु खींच रहे थे, और उसकी दिशा बदलने में समय लग गया।
घेराबंदी क्षेत्र में भीड़ का दबाव
बताया गया है कि दूसरा बड़ा कारण रहा घेराबंदी किए गए क्षेत्रों में अनियंत्रित रूप से श्रद्धालुओं का प्रवेश। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भारी संख्या में लोग प्रतिबंधित क्षेत्रों में घुस गए, जिससे सेवायतों और सुरक्षा बलों के बीच समन्वय में बाधा उत्पन्न हुई और रथों की गति धीमी हो गई।
भीड़ का अनुमान से अधिक होना
इस बार रथयात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या अनुमान से कहीं अधिक रही। भक्तों की भारी भीड़ ने भीड़ प्रबंधन प्रणाली पर दबाव डाला और रथ खींचने की प्रक्रिया को और जटिल बना दिया। जिला प्रशासन और श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने माना कि भीड़ नियंत्रण की योजना उम्मीद से कम साबित हुई।
प्रशासन ने दी सुधार की आश्वासन
पुरी जिला प्रशासन और श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने विलंब की स्थिति को स्वीकार करते हुए कहा है कि इस अनुभव से सीख लेकर बाहुड़ा यात्रा और आगामी आयोजनों के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की जाएंगी।
हरिचंदन ने राजनीतिक बयानबाजी पर विराम लगाया
विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने इसे भगवान की इच्छा बताया और कहा कि जो लोग इसे राजनीतिक विषय बना रहे हैं, वे केवल सस्ती राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले भी कई बार रथ अगले दिन मंदिर के समक्ष खड़ा हुआ है। भगवान और भक्तों के बीच यह आस्था का संबंध है। इस प्रकार, श्रद्धा, भक्ति और सेवा के इस महापर्व में भले ही कुछ बाधाएं आई हों, लेकिन भगवान के दर्शन और भव्य रथयात्रा की परंपरा में कोई कमी नहीं आई।