Home / Odisha / रथयात्रा में रथों पर देव से ज्यादा सेवायतों के दर्शन

रथयात्रा में रथों पर देव से ज्यादा सेवायतों के दर्शन

  • लाखों की भीड़ में श्रद्धालु रह जाते हैं विग्रहों के दर्शन से वंचित

पुरी। पुरी धाम में विश्वविख्यात रथयात्रा, जो महाप्रभु श्री जगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्राजी के भव्य दर्शन का पर्व माना जाता है, वह अब व्यवस्थागत कमियों और अनुशासनहीनता की गिरफ्त में आ चुका है। इस वर्ष भी लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति के बावजूद बड़ी संख्या में भक्त रथों पर देवताओं के दर्शन नहीं कर पाए।

दरअसल, रथों पर सेवायतों की भीड़ छाई रहती है। पूजा-पद्धति और अनुष्ठानों के नाम पर दर्जनों सेवक रथों पर चढ़े रहते हैं, जिससे देवताओं के विग्रह पूरी तरह ढंक जाते हैं। आम श्रद्धालु जो दूर से एक झलक पाने के लिए घंटों धूप में खड़े रहते हैं, उन्हें केवल रथ का आकार, उस पर चारों ओर सवार सेवायत दिखते है, देवता नहीं।

हालांकि हर वर्ष प्रशासन यह दावा करता है कि रथयात्रा व्यवस्था को बेहतर बनाया जाएगा, भीड़ नियंत्रण और सेवायतों की संख्या सीमित की जाएगी, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट रहती है। रथ पर फोटो खिंचवाने, हाथ हिलाने और विशेषाधिकार जताने की होड़ में सेवायत रथयात्रा की गरिमा को भी प्रभावित करते हैं।

श्रद्धालुओं का कहना है कि रथयात्रा जैसे आध्यात्मिक आयोजन में जब आम जनता ही देवदर्शन से वंचित रह जाए, तो यह चिंतन का विषय बन जाता है। रथ के आसपास घेराबंदी और प्रशासनिक कर्मचारी पहले ही दूरी बना देते हैं, ऊपर से रथ पर सेवकों की भीड़, श्रद्धा में बाधा बन जाती है।

स्पष्ट नियम बनाएं 

लोगों का कहना है कि यह रथयात्रा महाप्रभु श्री जगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्रा की होती है, लेकिन ऐसा लगने लगा है कि यह विश्वविख्यात रथयात्रा अब सेवायतों की बन कर रह गयी है। लोगों ने मांग की है कि अब समय आ गया है कि श्रीमंदिर प्रशासन और राज्य सरकार मिलकर इस पर स्पष्ट नियम बनाएं ताकि देवदर्शन का यह पर्व, वास्तव में हर भक्त के लिए सौभाग्य बन सके।

भगवान स्वयं आते हैं भक्तों के बीच 

मान्यता है कि हर साल भगवान स्वयं अपने भक्तों के बीच आते हैं, जिससे हर वर्ग, जाति, और पंथ के लोग उनका दर्शन कर सकें। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ के सामाजिक समरसता और भक्ति पर आधारित विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाती है। रथों पर देवताओं की सवारी और उन्हें खींचने का सौभाग्य प्राप्त करना करोड़ों लोगों के लिए अत्यंत पुण्य का कार्य माना जाता है, लेकिन इस पर सेवायतों की सवारी न सिर्फ भक्तों को प्रभु के दर्शन के बीच बाधा खड़ी करती है, अपितु रथों का वजन भी और बढ़ा देता है।

Share this news

About desk

Check Also

पुरी में तीनों रथ पहुंचे गुंडिचा मंदिर

भगवान जगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्राजी के रथों का भव्य आगमन  दूसरे दिन भी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *