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सरकार का निर्देश— सचिव करेंगे जिला स्तर पर दो से तीन दिन का प्रवास
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जिला कलेक्टरों के साथ समीक्षा बैठकों में विकास की नब्ज टटोलेंगे
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जरूरतों के अनुरूप रणनीतिक योजनाएं तैयार करने में करेंगे सहयोग
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नीति और जमीनी अमल के बीच की दूरी पाटने की कोशिश
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने राज्य में नीति क्रियान्वयन की जमीनी निगरानी और ग्राम स्तर पर शासन व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और सचिवों को अगले कुछ महीनों के भीतर राज्य के जिलों का दौरा करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में विकास आयुक्त कार्यालय द्वारा विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
निर्देश के अनुसार, सभी विभागीय सचिव जून से अगस्त के बीच अलग-अलग जिलों का दौरा करेंगे। इस दौरान वे पंचायत और ब्लॉक स्तर पर निरीक्षण करेंगे और स्थानीय प्रशासन, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों व कल्याणकारी संस्थानों की कार्यप्रणाली को करीब से समझेंगे। यह तय किया गया है कि अधिकारी कम से कम दो से तीन दिन संबंधित जिलों में रुकेंगे, ताकि वे स्थानीय वास्तविकताओं और योजनाओं की प्रभावशीलता का समुचित मूल्यांकन कर सकें।
इन दौरों के दौरान अधिकारी जिला कलेक्टरों के साथ समीक्षा बैठकें करेंगे और स्थानीय जरूरतों के अनुरूप रणनीतिक योजनाएं तैयार करने में सहयोग करेंगे। उनकी मुख्य जिम्मेदारी यह होगी कि सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लक्षित लाभार्थियों तक पहुंच रहा है या नहीं, इसकी गहराई से जांच करें।
सरकार की इस पहल के अंतर्गत 19 जिलों में फैले 29 आकांक्षी ब्लॉकों को विशेष रूप से कवर किया जाएगा। दौरे पर जा रहे अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे स्थानीय समुदायों और संस्थानों से सीधा संवाद स्थापित करें। इसके लिए अधिकारी एससी/एसटी छात्रावासों और स्कूलों में दोपहर का भोजन भी करेंगे ताकि भोजन की गुणवत्ता और सेवा वितरण का अनुभव मिल सके।
इसके अलावा, अधिकारी ग्रुप हेल्थ सेंटर्स, जनजातीय बालिका आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों का भी निरीक्षण करेंगे। वे वहां की भौतिक संरचना, स्वच्छता व्यवस्था और छात्रों की भलाई से जुड़े उपायों की समीक्षा करेंगे। सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि ये दौरे केवल औपचारिकता न हों, बल्कि स्थानीय समस्याओं को समझने और समाधान देने की दृष्टि से किए जाएं।
बताया गया है कि जिला भ्रमण पहल सरकार के उस लक्ष्य की ओर एक ठोस कदम है, जिसमें वह नीतियों और उनके अमल के बीच के फासले को घटाना चाहती है। इसके माध्यम से राज्य सरकार उत्तरदायित्व, पारदर्शिता और समावेशी विकास की संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ वास्तविक बदलाव की जमीन तैयार करना चाहती है।