-कुआखाई घाट पर अव्यवस्थाओं को लेकर खींचतान शुरू
-मौत के लिए जिम्मेदार कौन, प्रशासन, आयोजन समिति या कोई और?
-आयोजन को मिली थी प्रशासनिक अनुमति तो मुआवजे की घोषणा में देरी क्यों?
भुवनेश्वर – छठ पूजन के दौरान कुआखाई नदी में डूबने से हुई अमरजीत की मौत से भुवनेश्वर के हिन्दीभाषी समाज में शोक की लहर दौड़ गई है। लोग संदेशों के जरिए अमरजीत की आत्मा को शांति के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं, लेकिन सौ टके के सवाल भी उठ रहे हैं कि अमरजीत की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? लोग जानना चाहते हैं कि क्या प्रशासन, आयोजन समिति इस हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेंगे? इस हादसे को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी हैं। समिति की बैठक बुलाने की मांग भी शुरू हो गई है।
पता चला है कि छठ पूजन के लिए कुआखाई छठ पूजन समिति ने प्रशासन से अनुमति ली थी। प्रशासन ने कुछ जवानों की तैनाती कर अपनी जिम्मेदारियों पूरा समझ लिया, लेकिन वहां पर प्रशासन की तरफ से सुरक्षा मापदंडो को पूरा नहीं किया गया। अक्सर देखने को मिलता है कि जहां भी नदी के तट पर लोगों की भीड़ होती है, वहां कोस्ट गार्ड के जवानों की तैनाती की जाती है, नौकाएं लगाई जाती हैं, पानी के अंदर सुरक्षा घेरा बनाया जाता है, ताकी कोई गहरे पानी में न जा सके। अक्सर भीड़ के समय आप पुरी में समुद्र तट पर भी जवानों की तैनाती को देखते होंगे। अब सवाल यह है कि प्रशासन ने सुरक्षा मापदंडों को पूरा करने में कैसे चूक की? लोगों के बीच चर्चा हैं कि यदि ऐसा किया गया होता तो अमरजीत अन्य बच्चों की तरह अपने परिवार के साथ खेल-कूद रहा होता।
दूसरी तरफ यह भी चर्चा का विषय है कि क्या आयोजन समिति से भी सुरक्षा मापदंडों को पूरा करने में कहीं से चूक हुई है? क्या समिति ने नदी में सुरक्षा घेरा और नौका लगाने को लेकर प्रशासन की चूक पर ध्यान नहीं दिया? क्या परिवार के सदस्यों को अमरजीत पर ध्यान नहीं देना चाहिए? आखिर अमरजीत की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? अमरजीत तो एक बच्चा था, लेकिन अन्य लोग नदी के तट पर इस तरह से लापरवाह कैसे हो सकते हैं? यह कौन सुनिश्चित करेगा कि आगे कोई अमरजीत इस हादसे का शिकार न हो?
अमरजीत की भरपाई तो कोई नहीं कर सकता, लेकिन प्रशासन ने अगर इस आयोजन की अनुमति दी थी, सरकारी मुआवजे में देरी क्यों? क्या नैतिक रूप से कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है?