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सरकार ने जांच का दिया आश्वासन
भुवनेश्वर। ओडिशा में प्लस-टू की पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले छात्रों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। वर्ष 2024 में जहां लगभग 5,000 छात्रों ने फॉर्म भरने के बावजूद परीक्षा में हिस्सा नहीं लिया था, वहीं इस वर्ष यह संख्या बढ़कर करीब 11,000 तक पहुंच गई है।
काउंसिल ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन के अनुसार, इस वर्ष 4,00,705 छात्रों ने प्लस-टू परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था, लेकिन केवल 3,82,729 छात्र ही परीक्षा में उपस्थित हुए। इस तरह 10,889 छात्रों ने परीक्षा में हिस्सा नहीं लिया।
सरकार करेगी जांच
स्कूल एवं जन शिक्षा मंत्री नित्यनंद गोंड ने इस बढ़ती प्रवृत्ति को गंभीर बताते हुए कहा कि कुछ कारणों से छात्र फॉर्म भरने के बावजूद परीक्षा में शामिल नहीं हो रहे हैं। विभाग इसकी जांच करेगा और कारणों का पता लगाएगा।
आर्थिक समस्याएं बनी रुकावट
ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में छात्रों के लिए शिक्षा छोड़ना मजबूरी बनती जा रही है। गजपति जिले के बुलुदापंका गांव की सुषमा गामांग इसका एक उदाहरण हैं। उन्होंने मीडिया को दिये गये बयान में कहा है कि कक्षा 10 के बाद मैंने प्लस-टू की पढ़ाई शुरू की थी, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मुझे पढ़ाई छोड़कर शादी करनी पड़ी।
निजी संस्थानों पर संदेह
शिक्षाविदों ने कुछ निजी कॉलेजों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। आरोप है कि ये संस्थान छात्रों से फॉर्म भरवाकर परीक्षा में भाग नहीं लेने देते, जिससे आंकड़ों में गड़बड़ी होती है। शिक्षाविद प्रबोध पंडा ने कहा कि कुछ निजी संस्थान फर्जी पंजीकरण कर सरकारी नियमों को चकमा दे रहे हैं। ऐसे संस्थानों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
मांग उठी प्रभावी उपायों की
हालांकि राज्य सरकार ने ड्रॉपआउट दर कम करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ज़मीनी स्तर पर ठोस और प्रभावी कदम उठाए बिना इस समस्या को दूर करना कठिन है।