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पोलावरम परियोजना पर बीजद ने ओडिशा के मुख्यमंत्री से की अपील

  • आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा की मांग

भुवनेश्वर। पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश द्वारा चलाई जा रही पोलावरम बहुद्देश्यीय परियोजना के कारण मालकानगिरि जिले के आदिवासियों के जीवन और आजीविका पर मंडरा रहे खतरे को लेकर ओडिशा की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजद (बीजू जनता दल) ने राज्य सरकार को घेरा है।

बीजद के वरिष्ठ नेता देवी प्रसाद मिश्र ने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी से आग्रह किया कि वे स्वयं एक आदिवासी होने के नाते आगे आकर मालकानगिरि के आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करें और उनके जल-जंगल-जमीन को डूबने से बचाएं।

मिश्र ने आरोप लगाया कि पोलावरम परियोजना पर आंध्र प्रदेश सरकार बिना ओडिशा की सहमति के निर्माण कार्य को तेज़ी से आगे बढ़ा रही है और इसमें केन्द्र सरकार का मौन समर्थन है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना गोदावरी नदी पर बनी हुई है और इसका उद्देश्य सिंचाई, जलापूर्ति, जलविद्युत उत्पादन और नदी का प्रवाह नियंत्रित करना है।

हालांकि, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों ने इस परियोजना का लगातार विरोध किया है, क्योंकि इससे उनकी जमीनें और गांव डूबने की आशंका है। मामला फिलहाल उच्चतम न्यायालय में लंबित है।

मुख्यमंत्रियों को बैठक की जानकारी तक नहीं

बीजद नेता ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को पोलावरम परियोजना की समीक्षा के लिए एक बैठक बुला रहे हैं, लेकिन ओडिशा के मुख्यमंत्री या मंत्रियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, जो राज्य की उपेक्षा का स्पष्ट संकेत है।

पूर्व की बीजद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था मामला

मिश्र ने यह भी स्पष्ट किया कि यह बीजद सरकार ही थी जिसने वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी । उन्होंने कहा कि बीजद ने संसद से लेकर विधानसभा और जमीन स्तर पर आदिवासियों के साथ मिलकर इस परियोजना का विरोध किया।

उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने वर्ष 2024 में मालकानगिरि के प्रभावित इलाकों का दौरा कर आदिवासी समुदाय से सीधे बातचीत की थी ।

पर्यावरण स्वीकृति और वन अनुमति के बिना जारी है निर्माण कार्य

मिश्र ने आरोप लगाया कि वर्ष 2011 में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी कार्यस्थगन आदेश के बावजूद परियोजना का निर्माण कार्य अभी भी जारी है । 2014 में राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलने के बाद यह उल्लंघन और तेज़ हो गया है। उन्होंने कहा कि 2006 में इस परियोजना को 36 लाख क्यूसेक जल निकासी क्षमता के साथ मंजूरी दी गई थी, जिसे बाद में बिना ओडिशा की सहमति के 56 लाख क्यूसेक कर दिया गया। यह गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण के निर्देशों का खुला उल्लंघन है।

बैकवाटर प्रभाव का नया अध्ययन तक नहीं कराया गया

मिश्र ने यह भी कहा कि परियोजना के स्वरूप में बदलाव के बाद बैकवाटर अध्ययन (पिछला जल स्तर प्रभाव) अब तक नहीं किया गया है, जो गंभीर चिंता का विषय है। इससे संभावित डूब क्षेत्र का सही अनुमान नहीं लग सका है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी और सरकार की निष्क्रियता

उन्होंने बताया कि 6 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने उच्च स्तरीय पक्षकारों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया था , लेकिन अब तक यह बैठक नहीं हुई है। बीजद ने जल शक्ति मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय से इस माह के भीतर बैठक बुलाने की मांग की है।

पूर्व सांसद प्रदीप माझी, बीजद नेता मानस मडकामी और भृगु बक्शीपात्र ने भी राज्य की भाजपा सरकार पर आदिवासी मुद्दों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया।

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