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जीपीएस से निगरानी, मनमानी किराए पर रोक
भुवनेश्वर। आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में ओडिशा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य के वाणिज्य एवं परिवहन विभाग की प्रमुख सचिव उषा पाढ़ी की अध्यक्षता में और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की आयुक्त-सह-सचिव अस्वथी एस की मौजूदगी में एक अहम बैठक हुई, जिसमें राज्य में निजी एम्बुलेंस सेवाओं के लिए व्यापक नियामक ढांचा विकसित करने पर सहमति बनी।
अभियान मोड में होगा पंजीकरण
बैठक में तय किया गया कि सभी निजी एम्बुलेंसों को एक मानकीकृत प्लेटफॉर्म के तहत अभियान मोड में पंजीकृत किया जाएगा, ताकि एक सत्यापित डाटा तैयार किया जा सके और इन सेवाओं की निगरानी और तैनाती को बेहतर बनाया जा सके।
जीपीएस निगरानी और यात्री ऐप से लिंक
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पंजीकृत सभी एम्बुलेंसों को व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम (वीएलटीएस) से जोड़ा जाएगा, जिससे उनकी जीपीएस आधारित निगरानी संभव हो सके। इसके साथ ही इन सेवाओं को ‘ओडिशा यात्री ऐप’ से भी जोड़ा जाएगा, जिससे आम नागरिक आसानी से एम्बुलेंस बुक कर सकें और समय पर चिकित्सा सहायता पा सकें।
किराए पर नियंत्रण के लिए एसओपी
बैठक में यह भी तय किया गया कि एम्बुलेंस किराए को नियंत्रित करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जाएगी। इसमें किराया उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) से जोड़ा जाएगा, ताकि समय और भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार उचित व पारदर्शी दरें तय हो सकें।
पंजीकरण के लिए प्रोत्साहन, अनियमितताओं पर सख्ती
निजी एम्बुलेंस ऑपरेटरों को सेवा मानकों का पालन करने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं भी दी जाएंगी, वहीं नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
बैठक में शामिल हुए वरिष्ठ अधिकारी
इस बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ वृंदा डी, अतिरिक्त डाइरेक्टर डीएमईटी डॉ विजय महापात्र, राजधानी अस्पताल के उप अधीक्षक डॉ उमाकांत सतपथी, डॉ धनंजय दास, संयुक्त निदेशक सड़क सुरक्षा तपन कुमार मिश्रा समेत दोनों विभागों के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया और अपने सुझाव दिए।
समावेशी और भविष्योन्मुखी पहल
यह पहल ओडिशा सरकार के उस बड़े विजन का हिस्सा है, जिसमें डिजिटल एकीकरण, विभागीय समन्वय और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण से एक मजबूत और समावेशी स्वास्थ्य व परिवहन ढांचा तैयार किया जा रहा है, ताकि कोई भी नागरिक लागत, दूरी या व्यवस्था की कमी के कारण आपातकालीन चिकित्सा सेवा से वंचित न हो।