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मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित
भुवनेश्वर। ओडिशा राज्य में संभावित आपातकालीन परिस्थितियों और आपदा प्रबंधन को लेकर नागरिक सुरक्षा अभ्यास की तैयारियों पर चर्चा करने हेतु राज्य के मुख्य सचिव मनोज आहूजा की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक लोक सेवा भवन में आयोजित की गई।
इस बैठक में विभिन्न जिलों में नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की वर्तमान स्थिति, उनकी संख्या में वृद्धि, संगठात्मक मजबूती और प्रशिक्षण की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया गया। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भीड़भाड़ वाले औद्योगिक क्षेत्रों और शहरी इलाकों में अधिक संख्या में प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की तैनाती की जाएगी ताकि किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। बैठक में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सत्यव्रत साहू, पुलिस महानिदेशक, अग्निशमन विभाग के महानिदेशक डॉ सुधांशु षाड़ंगी और ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक डॉ कमल लोचन मिश्र सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। विभिन्न जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
बैठक में पुरी, जगतसिंहपुर, खुर्दा, अनुगूल, संबलपुर और सुंदरगढ़ जैसे जिलों में नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की भूमिका और आवश्यकताओं पर विस्तार से चर्चा हुई और कई सुझाव प्रस्तुत किए गए।
नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की भूमिका की सराहना करते हुए बताया गया कि वे आपदा, दुर्घटना और अन्य संकट की घड़ियों में प्राथमिक चिकित्सा, खोज एवं बचाव, अग्निशमन, स्थानांतरण और पुनर्वास जैसे कार्यों में जनता की मदद कर अहम योगदान देते हैं। साथ ही संकट के समय में सामूहिक स्थिरता बनाए रखने में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहती है।
बैठक में यह भी प्रस्तावित किया गया कि ऐसे समय में अग्रिम पंक्ति में काम कर चुके ‘आपदा मित्रों’ की सेवाओं को और अधिक संगठित कर आवश्यक समय पर उनकी मदद ली जाए। इसके अलावा, एनएसएस, एनसीसी, नेहरू युवा केंद्र, सेंट जॉन एम्बुलेंस जैसी संस्थाओं के साथ समन्वय कर राज्य की आपदा प्रतिक्रिया तैयारियों को और अधिक मजबूत करने पर भी चर्चा हुई।
जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों और प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में जनता को समय रहते सतर्क करने के लिए सायरन प्रणाली स्थापित करने की सलाह भी दी गई।
मुख्य सचिव आहूजा ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में हर संकट को एक अवसर और चुनौती के रूप में लेकर तैयार रहना चाहिए और जनजागरूकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक तैयारियों को गंभीरता से लेने का परामर्श दिया।