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आपदाग्रस्त क्षेत्रों की जीवन रेखा बनेंगी ये सड़कें
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ओडिशा सरकार ने उठाया बड़ा कदम
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पांच वर्षों में 1000 करोड़ रुपये का व्यय प्रस्तावित
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में निर्बाध आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री सड़क योजना -आपदा रोधी सड़कों की शुरुआत की है। इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य राज्य में सुदृढ़ और आपदा-रोधी सड़क अवसंरचना का निर्माण करना है, ताकि आपदा के दौरान और उसके बाद भी कनेक्टिविटी बनी रहे और राहत एवं बचाव कार्यों में बाधा न आए।
इस योजना के अंतर्गत बनाई जाने वाली सड़कें विशेष रूप से बाढ़, चक्रवात और भू-क्षरण जैसे आपदाओं के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में निर्मित की जाएंगी। इन सड़कों को इस प्रकार डिज़ाइन किया जाएगा कि वे आपदा की मार को सह सके और कम से कम रखरखाव में लंबे समय तक चल सकें।
आपदा प्रबंधन में अहम भूमिका
सरकार का मानना है कि ये सड़कों राज्य के आपदा प्रबंधन प्रयासों को सशक्त बनाएंगी और आपदा के समय जीवन रक्षक संपर्क मार्ग के रूप में कार्य करेंगी। इससे ना केवल राहत कार्यों में तेजी आएगी बल्कि स्थानीय निवासियों की आजीविका और सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। यह योजना ओडिशा के लिए आपदा लचीलापन बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है, जो राज्य को आपदाओं से लड़ने में और अधिक सक्षम बनाएगी।
ग्रामीण सड़कों के उन्नयन के लिए 426 करोड़ रुपये
कैबिनेट ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य के 142 विधानसभा क्षेत्रों में ग्रामीण संपर्क सड़कों के उन्नयन के लिए 426 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। यह परियोजना 2025-26 से 2026-27 तक दो वर्षों में पूरी की जाएगी। इस योजना के तहत स्कूल, अस्पताल, बाजार जैसे सार्वजनिक स्थलों को जोड़ने वाले उपेक्षित संपर्क मार्गों की मरम्मत और मजबूती की जाएगी।
प्रमुख निर्माण कार्यों में शामिल होंगे
– सड़क तटबंधों की ऊंचाई बढ़ाना, ताकि वे बाढ़ के पानी से ऊपर रहें।
– संरक्षण दीवारें और स्टोन पिचिंग का निर्माण, ताकि मिट्टी का कटाव रोका जा सके।
– पर्याप्त क्रॉस ड्रेनेज संरचनाएं, जिससे बाढ़ के पानी की समुचित निकासी हो और सड़क पर पानी न चढ़े।
– निम्न स्तरीय पुलों को उच्च स्तरीय पुलों से प्रतिस्थापित करना।
– पर्वतीय क्षेत्रों में कैच वॉटर ड्रेन और ब्रेस्ट वॉल्स का निर्माण।
योजना की अवधि और बजट
– योजना वित्त वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक यानी पांच वर्षों तक क्रियान्वित की जाएगी।
– इस दौरान कुल 1000 करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान किया गया है।
– लगभग 500 किलोमीटर लंबी सड़कों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।