-
कहा- रथयात्रा प्रकल्प को क्रियान्यवित करने की स्वस्थ विधा पर पुनर्विचार कर दूरदरर्शिता निर्णय अवश्य अपेशित
-
रथयात्रा को बंद न किया जाए – विश्व हिन्दू परिषद
पुरी/भुवनेश्वर. पुरी के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने रथयात्रा के आयोजन को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इसमें पुनर्विचार अपेक्षित है. उन्होंने यहां कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उत्कलवासियों के हित को ध्यान में रखकर लिया गया है. इस दृष्टिकोण यह फैसला स्वागत योग्य है, लेकिन अत्यावश्क व्यक्तियों द्वारा शास्त्र संबंत परंपरा प्राप्त रथयात्रा प्रकल्प को क्रियान्यवित करने की स्वस्थ विधा पर पुनर्विचार कर दूरदरर्शिता निर्णय अवश्य अपेशित है. ऐसा करने पर रथारूढ़ श्रीजगन्नाथ आदि का यांत्रिक विधा से दर्शन लाभकर भक्तवृंद शोक संताप से स्वयं को मुक्त करने में समर्थ सिद्ध हो सकते हैं. उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी जगतगुरु शंकराचार्य भक्तविहीन रथयात्रा निकालने का परामर्श दे चुके हैं.
इधर, विहिप की प्रदेश इकाई ने यह मांग की है कि करोड़ों लोगों के प्राण के भगवान श्रीजगन्नाथजी की रथयात्रा को बंद न किया जाए. बिना श्रद्धालुओं के रथयात्रा का आयोजन किया जाए. राज्य सरकार इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय में रिव्यु पीटिशन दायर करे. विहिप के प्रदेश मंत्री प्रशांत पंडा ने कहा कि रथयात्रा को बंद करने के लिए सुप्रीमकोर्ट ने जो निर्णय लिया है और इसमें जो कारण बताये गये हैं वह सही नहीं हैं, क्योंकि स्नान यात्रा का आयोजन बिना श्रद्धालुओं के किया गया और श्रद्धालु नहीं गये, ठीक इसी तरह रथयात्रा किया जा सकता है. सेवकों व सुरक्षा कर्मियों द्वारा रथ को खिंचा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसलिए राज्य सरकार को चाहिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर रथयात्रा का आयोजन करने की दिशा में प्रयत्न करे. श्रीजगन्नाथ के भक्तों के साथ सरकार न खेले.