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स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण पर डाल सकता है गंभीर असर
भुवनेश्वर। ओडिशा इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। झारसुगुड़ा, संबलपुर, बौद्ध, बलांगीर, सोनपुर और सुंदरगढ़ जैसे जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने इन जिलों के लिए ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है और 27 अप्रैल तक हालात के गंभीर बने रहने की चेतावनी दी है।
इस बीच तेज तापमान के साथ-साथ राज्य में पराबैंगनी (यूवी) किरणों का स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जो स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण पर गंभीर असर डाल सकता है।
क्या है यूवी इंडेक्स और क्यों है यह चिंता का विषय
यूवी इंडेक्स सूरज की पराबैंगनी किरणों की तीव्रता को मापता है। यह 0 (न्यूनतम खतरा) से 11+ (अत्यधिक खतरा) तक होता है। जब यूवी स्तर चरम पर होता है, तो बिना सुरक्षा के त्वचा कुछ ही मिनटों में झुलस सकती है, जिससे त्वचा कैंसर, आंखों की क्षति और त्वचा की तेजी से उम्र बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
स्पष्ट आसमान और ओडिशा के उष्णकटिबंधीय मौसम की विशेषताएं यूवी किरणों के सीधे संपर्क को और बढ़ाती हैं।
जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के प्रभाव
वैश्विक स्तर पर ओजोन परत में हो रही क्षति और जलवायु परिवर्तन के चलते अधिक यूवी किरणें पृथ्वी तक पहुंच रही हैं। इसके साथ ही, भुवनेश्वर जैसे शहरी क्षेत्रों में ‘अर्बन हीट आइलैंड’ प्रभाव के कारण कांक्रीट और डामर सतहें गर्मी और यूवी विकिरण को और अधिक बढ़ा रही हैं।
चरम यूवी स्तर के दुष्प्रभाव
स्वास्थ्य पर असर: चरम यूवी स्तर से सनबर्न, डिहाइड्रेशन, हीटस्ट्रोक और मोतियाबिंद जैसी आंखों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चे, बुजुर्ग और बाहरी मजदूर सबसे अधिक जोखिम में हैं।
चिकित्सक सलाह देते हैं कि सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच बाहरी गतिविधियों से बचें, चौड़ी टोपी और यूवी प्रोटेक्टिव चश्मे पहनें, सनस्क्रीन लगाएं और अधिक से अधिक छांव में रहें।
कृषि पर असर: उच्च तापमान के साथ-साथ अत्यधिक यूवी किरणें फसलों को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। इससे पौधों की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं, प्रकाश संश्लेषण में बाधा आती है और मिट्टी की जैविक गतिविधियां कम हो जाती हैं, जिससे उत्पादन घटने का खतरा है।
किसानों को सलाह दी गई है कि वे छायादार जाल (शेड नेट) का उपयोग करें, यूवी प्रतिरोधी किस्मों की खेती करें और जलवायु सहनशील कृषि पद्धतियां अपनाएं।
पर्यावरण पर असर: जलीय पारिस्थितिक तंत्र भी प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि प्लवक (प्लैंकटन) जैसे छोटे जीव, जो खाद्य श्रृंखला के लिए महत्वपूर्ण हैं, यूवी विकिरण से प्रभावित हो रहे हैं। इससे जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन की आशंका बढ़ जाती है।
सावधानी ही बचाव
ओडिशा में गर्मी और यूवी जोखिम की दोहरी चुनौती के बीच, यूवी इंडेक्स को समझना और उसके अनुरूप सतर्कता बरतना अत्यंत आवश्यक है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण पर सीधा प्रभाव डालने वाला कारक है।
जलवायु अस्थिरता के इस दौर में जागरूकता, अनुकूलन और समय रहते उठाए गए कदम ही एक सुरक्षित भविष्य का आधार बन सकते हैं।