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शिक्षा को समाज परिवर्तन का सबसे बड़ा साधन मानते थे डॉ अंबेडकर – चक्रधर त्रिपाठी

  • ओडिशा केन्द्रीय विश्वविद्यालय में डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती मनी

कोरापुट। ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूओ) में भारत रत्न डॉ भीमराव आंबेडकर की 134वीं जयंती श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो चक्रधर त्रिपाठी ने दीप प्रज्वलित कर एवं बाबा साहेब के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया। इस अवसर पर शिक्षकगण, अधिकारी, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

अपने संबोधन में कुलपति प्रो त्रिपाठी ने डॉ अंबेडकर के विचारों, सिद्धांतों और समकालीन भारत में उनकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब हमारे देश के ऐसे सपूत थे जिन्होंने समावेशिता और बंधुत्व की भावना से देश के विकास के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उन्होंने बताया कि डॉ अंबेडकर शिक्षा को समाज परिवर्तन का सबसे बड़ा साधन मानते थे। उन्होंने विद्यार्थियों, शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों से तीन प्रमुख अपेक्षाएं रखी थीं, पहला, छात्र-छात्राएं ऐसी शिक्षा प्राप्त करें, जिससे वे राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें; दूसरा, शिक्षक सही और नैतिक शिक्षा प्रदान करें; और तीसरा, संस्थान समावेशी मूल्यों पर आधारित शिक्षा व्यवस्था अपनाएं।

कुलपति ने कहा कि आज भी विश्वभर में जहां असमानता का मुद्दा उठता है, वहां डा अंबेडकर के समता के सिद्धांतों को याद किया जाता है। उन्होंने विश्वविद्यालय में अंबेडकर अध्ययन केंद्र की स्थापना की घोषणा की, जहां बाबा साहेब के विचार, जीवन और योगदान पर अध्ययन और शोध को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने विश्वविद्यालय समुदाय से इस केंद्र के लिए कोष निर्माण हेतु आर्थिक सहयोग की भी अपील की।

इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग के मुख्य प्रो रथिकांत कुम्भार ने डॉ अंबेडकर द्वारा हिन्दू कोड बिल के माध्यम से महिलाओं को अधिकार दिलाने में दिए गए योगदान की सराहना की और छात्रों को उनके विचारों पर अध्ययन और अनुसंधान के लिए प्रेरित किया।

समाज शास्त्र बिभागा के मुख्य डॉ कपिला खेमुंडु ने बाबा साहेब के सामाजिक समावेश, बंधुत्व, शासन-प्रशासन, सार्वजनिक नीति और लोकतंत्र में योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमें पिछली अन्यायपूर्ण घटनाओं को भुलाकर आपसी सहयोग और सह-अस्तित्व की भावना से भविष्य की ओर बढ़ना चाहिए।

व्यावसाय प्रबंधन विभाग के सह प्राध्यापक डॉ रूहलिया नुखु ने डॉ अंबेडकर की आधुनिक भारत की दृष्टि और भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी भूमिका पर विस्तार से बात की।

कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क अधिकारी डॉ फगुनाथ भोई ने किया और धन्यवाद ज्ञापन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ गौरव रंजन ने प्रस्तुत किया। इस आयोजन में विभिन्न विभागों के शिक्षक, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।

विश्वविद्यालय द्वारा डॉ अंबेडकर की जयंती सप्ताह (समरसता सप्ताह) के रूप में 7 से 14 अप्रैल 2025 तक मनाई गई, जिसमें गीत, चित्रकला और वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं।

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