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वक्फ बिल को समर्थन पर विवाद से बीजद में भीतरी तूफान

  • वरिष्ठ नेता भूपिंदर सिंह ने मानी अंदरूनी हलचल

  • कहा-अभी पार्टी में चल रही है कालबैसाखी, यह कोई छोटा मामला नहीं

भुवनेश्वर। वरिष्ठ बीजद नेता भूपिंदर सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पार्टी इस समय एक भीतरी तूफान से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि अभी पार्टी में कालबैसाखी चल रही है। यह कोई छोटा मामला नहीं है। हम यह दिखावा नहीं कर सकते कि कुछ हुआ ही नहीं। पार्टी के ढांचे में दरार आई है, यह सच है, लेकिन यह क्षणिक है, सब कुछ फिर से सामान्य हो जाएगा।  उन्होंने कहा कि बीजद हमेशा से सर्वधर्म समभाव और समावेशिता की पक्षधर रही है। पार्टी अध्यक्ष ने कभी किसी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया।

पूरे मामले की जांच होगी 

भूपिंदर सिंह ने कहा कि सस्मित पात्र की भूमिका पर पार्टी गंभीर है और पूरे मामले की जांच होगी। पात्र पर वक्फ बिल को समर्थन देने को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं।

पात्र को अकेले दोषी ठहराना गलत – सामंतराय

बीजद के एक और वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता देवाशीष सामंतराय ने पात्र का बचाव करते हुए कहा कि सस्मित पात्र निर्देशों का पालन कर रहे थे। उन्होंने अपनी मर्जी से कुछ नहीं किया। पर्दे के पीछे और भी लोग हैं जो इसमें शामिल हैं।

प्रसन्न आचार्य ने जताई बाहरी ताकत की भूमिका की आशंका 

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संसद में राज्यसभा सांसद सस्मित पात्र द्वारा दिए गए समर्थन ने बीजू जनता दल (बीजद) के भीतर गंभीर असंतोष को जन्म दे दिया है। पार्टी के अंदर समन्वय की कमी, व्यक्तिगत निर्णय लेने की स्वतंत्रता और बाहरी हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार को बीजद के वरिष्ठ नेता प्रसन्न आचार्य ने मीडिया के सामने इस पूरे प्रकरण पर खुलकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पात्र को इतना बड़ा फैसला अकेले लेने का कोई अधिकार नहीं था।

क्या यह कोई साजिश है? 

आचार्य ने कहा कि क्या साजिश हुई है, यह मुझे नहीं पता। लेकिन यह तय है कि सस्मित पात्र को अपनी मर्जी से ऐसा निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। संसद के सदस्यों का कहना है कि एक बैठक में बिल का विरोध करने का निर्णय लिया गया था। फिर निर्णय कैसे और क्यों बदला गया? यह पात्र ही स्पष्ट कर सकते हैं।  उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर इस बात की चर्चा चल रही है कि कहीं कोई पर्दे के पीछे से निर्णयों को प्रभावित तो नहीं कर रहा है।

कौन है यह बाहरी ताकत? 

आचार्य ने कहा कि कई नेताओं के मन में अब संदेह है कि कोई व्यक्ति पार्टी के मामलों में परोक्ष रूप से दखल दे रहा है। कभी-कभी इससे पार्टी को लाभ होता है, लेकिन कई बार इससे गंभीर नुकसान भी होता है।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर पार्टी में पारदर्शिता और सामूहिक निर्णय की प्रक्रिया नहीं रही, तो इसका नुकसान भुगतना पड़ सकता है। अगर बाहरी ताकतें पार्टी की दिशा तय करने लगें, तो अस्थिरता आना तय है।

पार्टी में भ्रम और बेचैनी 

प्रसन्न आचार्य ने बताया कि सस्मित पात्र के इस फैसले से पार्टी के कई नेताओं के मन में भ्रम और बेचैनी फैल गई है। आचार्य ने दोहराया कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता एकमत हैं कि कोई भी फैसला पार्टी मंच पर ही लिया जाना चाहिए। अगर कोई बाहरी ताकत फैसले ले रही है, तो इससे बीजद को आगे चलकर भारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

नेतृत्व की चुप्पी बनी चिंता 

इस विवाद के बाद बीजद के कई जमीनी कार्यकर्ताओं में भी असंतोष देखा गया है। पार्टी की चुप्पी और अस्पष्ट रुख पर सवाल उठ रहे हैं। कई कार्यकर्ताओं का मानना है कि बीजद जैसी धर्मनिरपेक्ष और जन-हितैषी छवि वाली पार्टी को इतना कमजोर संदेश नहीं देना चाहिए था।

अंदरूनी फूट और वैचारिक द्वंद्व

इस पूरे विवाद ने बीजद के भीतर वैचारिक मतभेद, संगठनात्मक अस्थिरता और नेतृत्व संघर्ष की परतें खोल दी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह हालिया वर्षों में बीजद के सामने आया सबसे गंभीर अंदरूनी संकट है। नेतृत्व स्तर से संवाद की कमी, वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी और नीतिगत अस्पष्टता से पार्टी के समर्पित समर्थकों और कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आने वाले दिनों में बीजद को इस संकट का समाधान निकालना होगा, वरना यह ‘कालबैसाखी’ और बड़ा नुकसान कर सकता है।

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