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ओडिशा में 200 करोड़ की खनिज चोरी में आईटी की बड़ी कार्रवाई

  •  कलिंगनगर क्षेत्र में 10 महंगे अपार्टमेंट और आठगढ़ में 11.2 एकड़ जमीन जब्त

भुवनेश्वर। आयकर विभाग ने ओडिशा में अवैध खनन से अर्जित बेनामी संपत्तियों को जब्त कर लिया है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली निवासी एक व्यक्ति द्वारा बेनामी होल्डिंग्स के माध्यम से अर्जित 10 महंगे अपार्टमेंट और कटक जिले में 11.2 एकड़ जमीन जब्त की गई है।

भुवनेश्वर के कलिंगनगर क्षेत्र में 10 महंगे अपार्टमेंट और कटक जिले के आठगढ़ में 11.2 एकड़ भूमि तापस रंजन पंडा के नाम पर पाई गई है। जांच के बाद बेनामी निषेध इकाई (बीपीयू) ने इन संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है।

पता चला है कि पंडा ने ये संपत्तियां दो बेनामी संस्थाओं, ट्रुइज्म इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड और ट्रू एड फाउंडेशन  के नाम पर खरीदी थीं। इन संस्थाओं का प्रबंधन पंडा के रिश्तेदारों और कर्मचारियों के माध्यम से किया जा रहा था।

अवैध खनन का खुलासा

जांच में पाया गया कि पंडा ने जाजपुर जिले के धर्मशाला तहसील के चडहेईधरा के डांकारी पहाड़ी में अवैध पत्थर खनन किया था। राज्य सरकार ने 2014 के बाद से वहां खनन लाइसेंस जारी नहीं किया था, लेकिन जून 2022 में आयकर विभाग की तलाशी में खुलासा हुआ कि पंडा ने 200 करोड़ रुपये के पत्थर और पत्थर के एग्रीगेट्स कई लोगों को बेचे थे।

अवैध धन का उपयोग 

अवैध रूप से अर्जित धन को बेनामी कंपनियों के माध्यम से भूमि और अपार्टमेंट खरीदने में लगाया गया। भद्रक, कटक, भुवनेश्वर के अलावा गुड़गांव और गाजियाबाद में भी कई अपार्टमेंट खरीदे गए। बाद में इन बेनामी संपत्तियों को लेन-देन के परतदार नेटवर्क के माध्यम से पांडा और उनकी पत्नी के नाम पर हस्तांतरित कर दिया गया।

फर्जी बिलिंग से संपत्ति को वैध दिखाने की कोशिश 

पंडा ने संपत्तियों को वैध दिखाने के लिए फर्जी बिलिंग और आयकर रिटर्न दाखिल किए। जीएसटी रिटर्न में भी फर्जीवाड़ा कर संपत्तियों को वैध बनाने का प्रयास किया गया।

बेनामी निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई 

बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत जब्त की गई संपत्तियों को 90 दिनों के लिए अस्थायी रूप से जब्त किया जा सकता है। इसके बाद निकटतम निर्णायक प्राधिकरण में न्यायिक प्रक्रिया चलती है। अगर बेनामी साबित होती है, तो संपत्ति सरकार के अधीन हो जाती है।

इस अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर 1 से 7 साल की कठोर सजा और संपत्ति के बाजार मूल्य के 25% तक का जुर्माना हो सकता है।

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