-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ
-
सभी प्राथमिक विद्यालयों में शिशु वाटिका खोलने की घोषणा की
-
5 से 6 वर्ष आयु के बच्चों को प्रदान की जाएगी प्रारंभिक शिक्षा
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने बुधवार को ‘शिशु वाटिका’ की शुरुआत की, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रारंभिक शिक्षा का हिस्सा है। इस अवसर पर ‘प्रवेश दिवस’ और ‘खड़ी छुआं’ का आयोजन भी किया गया, जो 2025-26 शैक्षिक सत्र के लिए छात्रों के नामांकन की शुरुआत को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भुवनेश्वर स्थित बड़गड़ उच्च विद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2025-26 शैक्षिक सत्र से सभी प्राथमिक विद्यालयों में 45,000 शिशु वाटिका खोली जाएगी, जिसमें 5 से 6 वर्ष आयु के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिशु वाटिका का उद्देश्य बच्चों को एक स्वस्थ और सुखद शिक्षा वातावरण में प्रारंभिक शिक्षा देना है, ताकि वे जीवन में आगे बढ़ सकें। उन्होंने बताया कि ये शिशु वाटिकाएं केंद्र सरकार के बाल वाटिका अवधारणा का क्षेत्रीय रूपांतरण हैं। ये सभी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से शुरू हो रही हैं।
मोहन ने मनोदशा समझने की कोशिश की
मुख्यमंत्री माझी ने बच्चों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करते हुए उनकी मनोदशा को समझने की कोशिश की। उन्होंने बच्चों से उनके माता-पिता के नाम पूछे और उनके बारे में सवाल किए, ताकि एक व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध स्थापित किया जा सके। बच्चों ने भी बड़ी खुशी के साथ मुख्यमंत्री से बातचीत की।
‘खड़ी छुआं-2025’ जागरूकता रथ का शुभारंभ
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने नवमी और दशमी कक्षाओं के छात्रों को मध्याह्न भोजन प्रदान किया और शिशु वाटिका के कार्यक्रम के तहत ‘खड़ी छुआं-2025’ जागरूकता रथ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बच्चों को शैक्षिक सामग्री किट भी प्रदान की और विद्यालय परिसर में विभिन्न शैक्षिक सामग्री स्टॉल्स का अवलोकन किया, जिसमें साक्षरता और गणित शिक्षा संबंधित सामग्री शामिल थी।
मानसिकता को ध्यान में रखकर तैयार हुआ कार्यक्रम
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम बच्चों की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, ताकि उन्हें खुशी के साथ शिक्षा प्राप्त हो सके। आज के दिन बच्चों के चेहरे पर जो मुस्कान है, वह इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। शिशु वाटिका का उद्देश्य राज्य में प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करना है और यह कार्यक्रम निश्चित रूप से बच्चों के लिए लाभकारी साबित होगा। बच्चों को एक अच्छी, आकर्षक और प्रेरक शिक्षा प्रणाली में शिक्षा प्रदान करने के लिए यह योजना बनाई गई है।
शिक्षक की भूमिका में दिखे मुख्यमंत्री
बुधवार को बरगड़ में आयोजित ‘प्रवेश उत्सव’ और ‘खड़ी छूअन’ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी शिक्षक की भूमिका में नजर आए। इस दौरान उन्होंने नन्हें बच्चों के साथ मिलकर उन्हें पढ़ने-लिखने के गुर सिखाए। मुख्यमंत्री ने एक बच्ची का हाथ पकड़कर उसकी स्लेट पर ‘शून्य’ लिखवाया।
मुख्यमंत्री ने भोजन भी परोसा
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कक्षा 9 और 10 के छात्रों को मध्याह्न भोजन परोसा। 1 अप्रैल से इन कक्षाओं में भी मध्याह्न भोजन योजना का विस्तार किया गया है। मुख्यमंत्री के इस प्रयास को जनता और बच्चों के माता-पिता ने सराहा है। उन्होंने शिक्षकों और प्रशासन से बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए इसी तरह समर्पित रहने की अपील की।
सर्वोत्तम और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राज्य के विद्यार्थियों को सर्वोत्तम और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह पहल हमारे बच्चों के लिए एक सशक्त, आत्मनिर्भर और आधुनिक भविष्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने नन्हें बच्चों का स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों के परिजनों को आमंत्रण पत्र भी सौंपे। यह उत्सव 5 अप्रैल तक जारी रहेगा।
खेल आधारित होगी शिक्षण पद्धति
बताया गया है कि 5-6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक कक्षाएं संचालित की जाएंगी। बच्चों को खेल आधारित शिक्षण पद्धति से पढ़ाया जाएगा। तकनीकी शिक्षा निदेशालय और एससीईआरटी द्वारा बच्चों के लिए कार्यपुस्तिकाएं तैयार की गई हैं। बच्चों को स्कूल बैग और स्टेशनरी सहित एक शैक्षिक किट भी दी जाएगी। विद्यालय और जनशिक्षा विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विधायक एकाम्र भुवनेश्वर बाबू सिंह, विधायक खुर्दा प्रशांत जगद्देव, भुवनेश्वर की मेयर सुलोचना दास, भाजपा नेता जगन्नाथ प्रधान, विद्यालय और जनशिक्षा विभाग की कमिश्नर तथा शासन सचिव शालिन पंडित और ओसेपा परियोजना निदेशिका अनन्या दास, विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं और अन्य वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।