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अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को मिली क्लीन चिट के बाद की है टिप्पणी
भुवनेश्वर। ओडिशा क्राइम ब्रांच (सीआईडी-सीबी) के पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा एक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण राज्य में बहस के केंद्र में आ गए हैं। उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा किया, जो बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत से जुड़े मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को मिली क्लीन चिट के बाद आया।
बोथरा ने अपने पोस्ट में एक राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट साझा की, जिसमें यह बताया गया था कि मुंबई पुलिस को इस मामले में चार साल पहले तीव्र जांच और आलोचना का सामना करना पड़ा था। कई टीवी एंकरों और सोशल मीडिया अकाउंट्स ने बिना किसी ठोस आधार के पुलिस की छवि को खराब करने की कोशिश की थी।
मुंबई पुलिस को बेवजह आरोपों में घसीटा
ओडिशा कैडर के इस वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने अपने पोस्ट में लिखा है कि सुशांत सिंह राजपूत मामला सोशल मीडिया पर अपराध जांच में दखल देने वाले तथाकथित सतर्कता समूहों के खतरों को उजागर करता है। चार साल पहले, सोशल मीडिया पर कई अकाउंट्स ने टीवी एंकरों के उकसावे पर मुंबई पुलिस को बेवजह आरोपों में घसीटा। अब यह स्पष्ट हो गया है कि पुलिस ने एक पेशेवर जांच की थी। अपराध जांच के बारे में कुछ भी न जानने वाले लोग झूठ और अपमानजनक टिप्पणियों से सनसनी फैला सकते हैं, लेकिन अंततः अदालत के फैसले और सबूत ही मायने रखते हैं।
इसलिए छिड़ी है बहस
बोथरा के इस बयान के बाद उनके इरादों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। खासकर इसलिए क्योंकि वह पहले ओडिशा के पूर्व मंत्री नव किशोर दास की हत्या की जांच की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं, जो बाद में कई नए मोड़ों के चलते क्राइम ब्रांच के ताजा जांच के दायरे में आई। ऐसे में उनकी यह टिप्पणी राज्य में अलग-अलग मायनों में देखी जा रही है। जब इस मामले पर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बोथरा की कोई टिप्पणी नहीं मिली थी।
बोथरा ने अपने पोस्ट में एक राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट साझा की, जिसमें यह बताया गया था कि मुंबई पुलिस को इस मामले में चार साल पहले तीव्र जांच और आलोचना का सामना करना पड़ा था। कई टीवी एंकरों और सोशल मीडिया अकाउंट्स ने बिना किसी ठोस आधार के पुलिस की छवि को खराब करने की कोशिश की थी।
मुंबई पुलिस को बेवजह आरोपों में घसीटा
ओडिशा कैडर के इस वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने अपने पोस्ट में लिखा है कि सुशांत सिंह राजपूत मामला सोशल मीडिया पर अपराध जांच में दखल देने वाले तथाकथित सतर्कता समूहों के खतरों को उजागर करता है। चार साल पहले, सोशल मीडिया पर कई अकाउंट्स ने टीवी एंकरों के उकसावे पर मुंबई पुलिस को बेवजह आरोपों में घसीटा। अब यह स्पष्ट हो गया है कि पुलिस ने एक पेशेवर जांच की थी। अपराध जांच के बारे में कुछ भी न जानने वाले लोग झूठ और अपमानजनक टिप्पणियों से सनसनी फैला सकते हैं, लेकिन अंततः अदालत के फैसले और सबूत ही मायने रखते हैं।
इसलिए छिड़ी है बहस
बोथरा के इस बयान के बाद उनके इरादों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। खासकर इसलिए क्योंकि वह पहले ओडिशा के पूर्व मंत्री नव किशोर दास की हत्या की जांच की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं, जो बाद में कई नए मोड़ों के चलते क्राइम ब्रांच के ताजा जांच के दायरे में आई। ऐसे में उनकी यह टिप्पणी राज्य में अलग-अलग मायनों में देखी जा रही है। जब इस मामले पर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बोथरा की कोई टिप्पणी नहीं मिली थी।