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राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न 

  • चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों पर हुई व्यापक चर्चा

भुवनेश्वर। सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया उन्मूलन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला ‘सर्वोत्तम अभ्यास और व्यावहारिक रणनीतियाँ’ विषय पर मयफेयर कन्वेंशन में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस समापन समारोह में संजीव कुमार मिश्र, प्रमुख सचिव, एसएसडी विभाग, डॉ पोमा टुडू, निदेशक, एसटी, डॉ राजी एनएस, उप सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ वृंदा डी, एमडी, एनएचएम, ओडिशा सरकार ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

इस कार्यशाला में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें जनजातीय कार्य मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ, यूएनडीपी, यूनिसेफ, आईएसएचबीटी के प्रतिनिधि तथा 10 सिकल सेल प्रभावित राज्यों के जनजातीय एवं स्वास्थ्य विभागों के अधिकारी शामिल थे।

कार्यशाला में सिकल सेल एनीमिया के निदान में प्रगति, राष्ट्रीय उन्मूलन कार्यक्रम को मजबूती, सर्वोत्तम रणनीतियाँ, सामाजिक और व्यवहारिक परिवर्तन संचार, बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण, चुनौतियाँ और भविष्य की रणनीतियों पर व्यापक चर्चा हुई।

कार्यशाला के दौरान, प्रो इसाक ओडामे (डायरेक्टर, हेमेटोलॉजी डिवीजन, यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, कनाडा) ने भारत के सिकल सेल मिशन की वैश्विक सफलता और प्रभाव पर प्रकाश डाला।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश-विदेश के कई प्रमुख विशेषज्ञ शामिल हुए, जिनमें प्रो दीप्ति जैन (नागपुर), प्रो मैत्रेयी भट्टाचार्य (कोलकाता), प्रो अक्षत जैन (डायरेक्टर, सिकल सेल प्रोग्राम, लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया, यूएसए), प्रो तुलिका सेठ (एम्स, दिल्ली), प्रो सुनीता रेड्डी (सहायक प्रोफेसर, जेएनयू), डॉ. बोन्था वी बाबू (प्रमुख, स्वास्थ्य प्रणाली अनुसंधान प्रभाग, आईसीएमआर), प्रो टीके दोलाई (प्रमुख, हेमेटोलॉजी, एनआरएस मेडिकल कॉलेज, कोलकाता), शोभा तुली (सचिव, थैलेसेमिक्स इंडिया) शामिल थे।

रोकथाम पर अपने विचार साझा किए

इन विशेषज्ञों ने सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया के प्रमुख मुद्दों और उनकी रोकथाम पर अपने विचार साझा किए। इसके अलावा, सिकल सेल पीड़ित योद्धाओं ने भी अपने अनुभव साझा किए, जिससे बीमारी से निपटने की रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाने पर जोर दिया गया। इस कार्यशाला के सफल आयोजन से भारत में सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया उन्मूलन के प्रयासों को एक नई दिशा मिली है।

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