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100 करोड़ तक के व्यय को मंजूरी दे सकेंगे मुख्यमंत्री
भुवनेश्वर। कार्यकुशलता और पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयास में ओडिशा सरकार ने मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की वित्तीय शक्तियों में संशोधन किया है। सूत्रों ने बताया कि वित्तीय शक्ति प्रत्यायोजन नियम, 1978 में किए गए संशोधनों के माध्यम से सचिवों और विभागाध्यक्षों की वित्तीय शक्तियों में भी संशोधन किया गया है। संशोधनों के अनुसार, मुख्यमंत्री वस्तुओं, परामर्श और आउटसोर्सिंग सेवाओं पर व्यय के लिए 100 करोड़ रुपये तक की राशि को मंजूरी दे सकते हैं। 100 करोड़ रुपये से अधिक के व्यय के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली राज्य कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी जानी होगी। इसी तरह, प्रशासनिक विभाग के मंत्री के पास वस्तुओं पर 50 करोड़ रुपये तक के व्यय और परामर्श और आउटसोर्सिंग सेवाओं पर 10 करोड़ रुपये तक के व्यय को मंजूरी देने का अधिकार होगा। विभागीय सचिव को 20 करोड़ रुपये तक की वस्तुओं, 3 करोड़ रुपये तक की परामर्श एवं आउटसोर्सिंग सेवाओं पर व्यय की स्वीकृति एवं मंजूरी देने का अधिकार होगा, जबकि विभागाध्यक्ष को 10 करोड़ रुपये तक की वस्तुओं तथा 1 करोड़ रुपये तक की परामर्श एवं आउटसोर्सिंग सेवाओं पर व्यय की स्वीकृति दी जा सकेगी। वित्त विभाग द्वारा जारी आधिकारिक ज्ञापन के अनुसार, यदि कोई प्रशासनिक विभाग विभाग स्तर पर वस्तुओं (25 लाख रुपये से अधिक एवं 10 करोड़ रुपये से कम), परामर्श सेवाओं (5 लाख रुपये से अधिक एवं 1 करोड़ रुपये से कम) की खरीद तथा सेवाओं (5 लाख रुपये से अधिक एवं 1 करोड़ रुपये से कम) की आउटसोर्सिंग करता है, तो विभाग स्तरीय खरीद समिति की संस्तुति की आवश्यकता होगी।
स्थानीय उद्योगों को मिलेगी प्राथमिकता
स्थानीय सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से वस्तुओं की खरीद में वरीयता, छूट, रियायतें एवं विशेष छूट का विनियमन एमएसएमई विभाग द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। प्रशासनिक विभाग स्तर या विभागाध्यक्ष स्तर पर 25 लाख रुपये तक की वस्तुओं की खरीद, 5 लाख रुपये तक की परामर्श सेवाओं की खरीद तथा 5 लाख रुपये तक की आउटसोर्सिंग सेवाओं के लिए विभाग स्तरीय या विभागाध्यक्ष स्तरीय खरीद समिति की अनुशंसा की आवश्यकता नहीं है। ज्ञापन के अनुसार ऐसे मामलों में, विभाग के सचिव या संबंधित विभागाध्यक्ष या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी, जैसा भी मामला हो, के अनुमोदन से खरीद की जा सकेगी।