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दिल्ली में ली अंतिम सांस
भुवनेश्वर। ओडिशी नृत्य के प्रसिद्ध गुरु मयाधर राउत का शनिवार सुबह दिल्ली स्थित आवास पर निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे।
उनके बेटे मनोज राउत ने मीडिया को बताया कि उन्होंने सुबह नाश्ता किया और अपने पोते-पोतियों व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ समय बिताया। उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी, वे वृद्धावस्था के कारण हमें छोड़कर चले गए।
गुरु मयाधर राउत अपने पीछे बेटी और ओडिशी नृत्यांगना मधुमिता राउत, बेटे मनोज और मनमथ राउत को छोड़ गए हैं। उनकी पत्नी ममता राउत का निधन 2017 में हो गया था।
6 जुलाई 1933 को ओडिशा में जन्मे मयाधर राउत ओडिशी के सबसे प्रतिष्ठित गुरुओं में से एक थे। उन्होंने सात वर्ष की उम्र में ‘गोटिपुअ’ नृत्य से अपनी साधना की शुरुआत की, जो ओडिशी नृत्य का प्रारंभिक रूप माना जाता है। 1944 में उन्होंने पहली बार मंच पर ‘गोटिपुअ’ नृत्य प्रस्तुत किया।
वह 1959 में गठित ‘जयंतिका’ समूह के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। यह विद्वानों, कलाकारों और गुरुओं का एक संगठन था, जिसने आधुनिक ओडिशी नृत्य को संहिताबद्ध कर विकसित किया और इसे ‘अभिनय’ के शास्त्रीय तत्वों से समृद्ध किया।
उन्होंने ओडिशी नृत्य को शास्त्र-आधारित सिद्धांतों के साथ नया स्वरूप प्रदान किया। नाट्यशास्त्र, अभिनय दर्पण और अभिनय चंद्रिका जैसे प्राचीन ग्रंथों में निपुणता रखने वाले राउत ने ओडिशी में कई नए तत्वों को शामिल किया।
1960 के दशक के उत्तरार्ध में वे दिल्ली चले गए, जहां उन्होंने ‘नृत्य निकेतन’ में ओडिशी सिखाना शुरू किया। 1970 से 1995 तक वे ‘श्रीराम भारतीय कला केंद्र’ के ओडिशी विभाग के प्रमुख रहे।
गुरु राउत ने ओडिशी में संचारी भाव की अवधारणा प्रस्तुत की और पहली बार ‘गीत गोविंद’ के अष्टपदियों को ओडिशी नृत्य के रूप में मंच पर प्रस्तुत किया। 1971 में दिल्ली के प्रसिद्ध कमानी सभागार का उद्घाटन भी उनके नृत्य नाटक “गीत गोविंद” के प्रदर्शन से हुआ था।
ओडिशी नृत्य को वैश्विक पहचान दिलाने वाले गुरु मयाधर राउत को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें ओडिशा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1977), साहित्य कला परिषद पुरस्कार (1984), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1985), राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार (2003), उपेन्द्र भांजा सम्मान (2005) और टैगोर अकादमी रत्न (2011) शामिल हैं।
उनके शिष्यों में कई प्रसिद्ध ओडिशी नर्तक और नृत्यांगनाएं शामिल हैं, जैसे रंजना गौहर, किरण सहगल, अलोका पनिकर, वनश्री राव, उषा गुप्ता और जयलक्ष्मी ईश्वर।
गुरु मयाधर राउत का निधन ओडिशी नृत्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।