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भक्त चरण दास बने ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष

  • कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया नियुक्त

भुवनेश्वर। ओडिशा कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक बदलाव करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भक्त चरण दास को ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओपीसीसी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी।
भक्त चरण दास, जो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं, ने शरत पटनायक की जगह ली है। यह बदलाव ऐसे समय पर हुआ है जब कांग्रेस आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
अपनी नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए दास ने कहा कि मैं पार्टी के युवा और वरिष्ठ दोनों नेताओं के साथ मिलकर कांग्रेस को मजबूत करने का संकल्प लेता हूं। मेरा उद्देश्य कांग्रेस को फिर से सशक्त बनाना है। मुझे उम्मीद है कि हर कार्यकर्ता इस लक्ष्य में मेरा साथ देगा।
भक्त चरण दास ओडिशा की राजनीति के अनुभवी नेता हैं और उनका कार्यकाल कांग्रेस के पुनरुद्धार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब उनकी जिम्मेदारी होगी कि वह पार्टी को एकजुट कर 2024 के चुनावों में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करें।
भक्त चरण दास के सामने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की चुनौती
भक्त चरण दास को ओडिशा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब उनके सामने पार्टी को पुनर्जीवित करने की कठिन चुनौती है। ओडिशा में कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों में कमजोर हुई है, जहां बीजद (बीजद) का 24 सालों तक दबदबा रहा है और अब भाजपा एक मजबूत स्थिति है और सत्ता में कायम है।
भक्त चरण दास: अनुभव और योगदान
भक्त चरण दास कलाहांडी लोकसभा सीट से कई बार सांसद रह चुके हैं और उन्होंने आदिवासी, किसान और वंचित वर्गों के लिए लगातार आवाज उठाई है। 2009 से 2014 के बीच उन्होंने कलाहांडी और नुआपड़ा जिलों के लिए कई विकास परियोजनाएं और आर्थिक सहायता सुनिश्चित की थी।
हाल ही में, वह ओडिशा कांग्रेस के चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख थे, लेकिन 2024 के चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने 11 जून 2024 को इस्तीफा दे दिया। इसके बावजूद, कांग्रेस नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है।
कांग्रेस की चुनौतियां 
– पार्टी में लंबे समय से गुटबाजी रही है, जिसे दूर करना पहली प्राथमिकता होगी।
– ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में समर्थन बढ़ाना एक प्रमुख चुनौती होगी।
– कांग्रेस का पारंपरिक जनाधार कमजोर हुआ है, जिसे वापस पाना अहम होगा।
– बीजद के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की लोकप्रियता और भाजपा के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना एक कठिन कार्य होगा।
– पार्टी को फिर से सक्रिय और मजबूत करने के लिए ज़मीनी स्तर पर बदलाव जरूरी होंगे।

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