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400 मरीजों को मिला लाभ
भुवनेश्वर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भुवनेश्वर ने अंतिम हितधारकों की बैठक के साथ एम्स आईसीयू पुनर्वास (एआईआर) पायलट परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह ऐतिहासिक घटना चार साल की एक परिवर्तनकारी पहल की परिणति का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य आईसीयू के बाद की देखभाल और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के पुनर्वास में सुधार करना है, जिससे 400 से अधिक गंभीर रूप से बीमार, बिस्तर पर पड़े मरीज और उनके परिवार लाभान्वित हुए हैं।
एआईआर परियोजना ने रोगी और सार्वजनिक भागीदारी और जुड़ाव (पीपीआईई) मॉडल पेश किया और उसे लागू किया, जो एक अग्रणी दृष्टिकोण है जो स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और समुदायों के बीच की खाई को पाटता है, जिससे जनता को स्वास्थ्य सेवा पहलों में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए सशक्त बनाया जाता है।
कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान डॉ आशुतोष बिस्वास ने मरीजों और उनके परिवारों के साथ एक प्रेरक बातचीत की, जिसमें परियोजना के प्रभाव के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त की। उन्होंने डॉ स्वागत त्रिपाठी के नेतृत्व वाली एआईआर टीम की प्रशंसा की और एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर, ट्रॉमा और इमरजेंसी, फिजिकल मेडिसिन और रिहैबिलिटेशन और कॉलेज ऑफ नर्सिंग साइंसेज के विभागों के वरिष्ठ संकाय के योगदान को स्वीकार किया। डॉ बिस्वास ने पहल के व्यापक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला, जिसमें परिवार के सदस्यों को ट्रेकियोस्टोमी देखभाल, नाक से भोजन, फिजियोथेरेपी, कैथेटर प्रबंधन और घाव की देखभाल जैसी महत्वपूर्ण देखभाल प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण देना शामिल था। उपकरण सहायता, दूरसंचार के माध्यम से नियमित अनुवर्ती कार्रवाई और घर पर जाकर समय पर घर से छुट्टी की सुविधा प्रदान करना। तीव्र देखभाल संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करते हुए अस्पताल से होने वाले संक्रमण और स्वास्थ्य सेवा लागत को कम करना। जिला स्वास्थ्य सेवा टीमों और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं को पोस्ट-आईसीयू देखभाल प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षित करना। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के टीम लीडर डॉ. दीनबंधु साहू ने हब-एंड-स्पोक मॉडल का उपयोग करके ओडिशा भर के सभी मेडिकल कॉलेजों में एआईआर परियोजना का विस्तार करने के सरकार के दृष्टिकोण पर जोर दिया। उन्होंने परियोजना के अभिनव और समग्र दृष्टिकोण की सराहना की, जो आईसीयू में जीवित बचे लोगों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों का समाधान करता है। हितधारकों की बैठक में रोगियों और परिवारों की भावनात्मक प्रशंसा भी शामिल थी, जिसमें बेहतर रिकवरी परिणामों और जीवन की बढ़ी हुई गुणवत्ता की कहानियाँ साझा की गईं। अंतःविषय टीमवर्क, अत्याधुनिक हस्तक्षेप और रोगी-केंद्रित देखभाल में एआईआर परियोजना के प्रयासों की भविष्य की स्वास्थ्य सेवा पहलों के लिए एक मॉडल के रूप में सराहना की गई। प्रमुख उपस्थित लोगों में डॉ निरोद कुमार साहू (अतिरिक्त निदेशक तकनीकी), डॉ दीपक बिस्वाल (एसपीएम, एनआईपीआई इनोवेशन सेल, एनएचएम ओडिशा), डॉ दिलीप कुमार परिडा (चिकित्सा अधीक्षक, एम्स भुवनेश्वर), डॉ सत्यजीत मिश्र और डॉ स्वागत त्रिपाठी शामिल थे।