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फकीरमोहन साहित्य परिषद और भाषा विकास आंदोलन ने एफआईआर वापस लेने की मांग की
कृष्ण कुमार मोहंती, बालेश्वर.
भीमभोई पर एक शोध पुस्तक 2008 में जोहान्स बेल्स और केदार मिश्र द्वारा एकत्र लिखी गयी थी. प्रकाशन के 12 साल बाद आज कुछ व्यक्तियों ने केदार मिश्र पर भीमभोई को बदनाम करने का आरोप लगाया है. केदार मिश्र के काम की प्रामाणिकता पर चर्चा करने के लिए ‘ओड़िया भाषा विकास आंदोलन’ द्वारा एक ‘वेबिनार’ का आयोजन किया गया, जिसमें आलोचना हुई. उन्होंने कैसे ओडिशा के एक प्रसिद्ध प्रतिभाशाली कवि के चरित्र की अच्छाई दर्शायी है. आलोचना में डॉक्टर लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने अध्यक्षता की, जबकि फकीरमोहन साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर शिरिष चंद्र जेना ने अंग्रेजी पुस्तक पर विस्तृत चर्चा की और भीमभोई को “बहुत प्रतिभाशाली व्यक्ति” बताया. जोहान्स बेल्स और केदार मिश्र द्वारा लिखी गई किताब में भीमभोई को महिला के रूप में निंदा करने वालों की निंदा की गयी है.
अपने अन्य निबंधों में मिश्र यह भी खुलासा करते हैं कि वे भीमभोई को बहुत प्यार करते हैं और उनकी पूजा करते हैं. ओड़िया भाषा विकास आंदोलन और फकीरमोहन साहित्य परिषद इन दो संगठनों ने पुस्तक के लेखक के खिलाफ आरोपों को वापस लेते हुए शत्रुता को रोकने के लिए भी निवेदन किया. चर्चा की शुरुआत में दिवंगत वरिष्ठ समालोचक तथा सारस्वत साधक प्रोफेसर नित्यानंद शतपथि की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए भगवान से उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए प्रार्थना की गयी. भाषा विकास आंदोलन के सचिव कहानीकार निबारन जेना ने वेबिनार पर शुरुआती टिप्पणी की, जबकि संयुक्त सचिव दीपक बोस ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया.