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वैश्विक मंच पर स्थापित की है अपनी पहचान
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अपने क्षेत्र में निभा रही हैं अग्रणी भूमिका
भुवनेश्वर। भारत की नारी शक्ति आज वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रही है। अपने क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाएं न केवल अपने समुदाय और देश का नाम रोशन कर रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन रही हैं। 18वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर आयोजित सत्र “डायस्पोरा दिवास: महिलाओं के नेतृत्व और प्रभाव का जश्न – नारी शक्ति” ने ऐसी ही प्रेरणादायक महिलाओं की कहानियां सामने रखीं, जिन्होंने अपने दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और नवाचार से सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
इस सत्र की संचालन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ. ऋतु करिधाल ने की। डॉ. करिधाल, जिन्हें भारत की “रॉकेट वुमन” कहा जाता है, ने चंद्रयान और मंगलयान जैसे मिशनों में अहम भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व ने महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण पेश किया है।
सत्र में उपस्थित विभिन्न देशों की प्रवासी भारतीय महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। इनमें शामिल थीं शुलेट कॉक्स, जो जमैका प्रमोशन्स कॉर्पोरेशन (जैमप्रो) की अध्यक्ष हैं। उन्होंने अपने देश में निवेश और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उल्लेखनीय काम किया है। पूनम सागर, जो इंडोनेशिया में एक प्रमुख बिजनेस फोरम की अध्यक्ष और इंडोइंडियंस डॉट कॉम की संस्थापक हैं, ने तकनीक और महिला उद्यमिता के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है।
प्रेरणादायक महिलाएं
सुधा मजिथिया, तंजानिया की एक उद्यमी और समाजसेवी, ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके द्वारा स्थापित कंपनियां स्थानीय महिलाओं को रोजगार प्रदान करती हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करती हैं। इसी तरह, त्रिनिदाद और टोबैगो की डॉ. इंद्राणी रामप्रसाद, जो पहली महिला पंडित और महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं, ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया है।
इथियोपिया की मैत्री जोशी ने सामाजिक कल्याण परियोजनाओं में अग्रणी भूमिका निभाई है, विशेष रूप से बाढ़ प्रबंधन और पर्यटन क्षेत्र में। कतर की सकला अप्पाचू डेब्रास, जिन्होंने मार्केटिंग और इवेंट मैनेजमेंट में उत्कृष्टता प्राप्त की है, महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में प्रेरित कर रही हैं।
स्लोवेनिया की कोकी वेबर, जो भारतीय हस्तशिल्प की एक प्रमुख व्यापारी हैं, ने भारतीय कला और संस्कृति को यूरोप में लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ चैरिटी बाजारों के माध्यम से सामाजिक कार्यों को बढ़ावा दिया है। नॉर्वे की लवलीन ब्रेना, जो “सीमा” नामक एक संगठन की संस्थापक हैं, ने विविधता और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए नए मानक स्थापित किए हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में पहल
इन महिलाओं की कहानियां दर्शाती हैं कि किस प्रकार सशक्त महिलाएं अपने काम और दृष्टिकोण से समाज को बदल सकती हैं। ये महिलाएं अपने क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने के साथ-साथ अन्य महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं कि वे भी अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं।
भारत सरकार द्वारा प्रवासी भारतीय दिवस जैसे मंच पर इन महिलाओं के योगदान को मान्यता देना एक सकारात्मक संकेत है। यह न केवल महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि प्रवासी भारतीय समुदाय भारत की प्रगति में कैसे योगदान दे रहा है।
नारी शक्ति: नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
ये महिलाएं अपने अनुभवों से दिखाती हैं कि सफलता की राह में बाधाएं आ सकती हैं, लेकिन धैर्य, दृढ़ संकल्प और नवाचार से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। इनके योगदान से प्रेरित होकर नई पीढ़ी की महिलाएं भी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरित होंगी।
महिला सशक्तिकरण के इस जश्न के साथ, यह स्पष्ट है कि नारी शक्ति न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को नई दिशा देने में सक्षम है। आज का दिन यह साबित करता है कि जब महिलाएं अपने अधिकारों के लिए खड़ी होती हैं, तो वे समाज को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाती हैं।